16. हार्वर्ड से बहुदिगंत आनुष्ठानिक भ्रमण
16. हार्वर्ड से बहुदिगंत आनुष्ठानिक भ्रमण
सीफा पाठ्यक्रम की अन्यतम विशेषता सीफा द्वारा आयोजित अनेक आनुष्ठानिक भ्रमण
थे, जिसका उद्देश्य संबंधित सरकारों, उनके वरिष्ठ अधिकारियों
और अन्य संगठनों के साथ उच्च स्तरीय चर्चाओं का आयोजन करना था। इस कार्यक्रम के
तहत हम निम्नलिखित स्थानों पर भ्रमण करने गए।
न्यू हैम्पशायर राज्य के शरद ऋतु में पतझड़ देखने के साथ-साथ हमने उस वर्ष के
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार माइकल डकाकिस से मुलाक़ात की और हमने अमेरिका की चुनाव
प्रक्रिया की प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त की। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय ने खुद
आयोजित किया था। इसके अलावा, हमने औपचारिक निमंत्रण प्राप्त कर तीन देशों की विधिवत यात्रा की। सबसे पहले, हमने अमेरिकी सरकार के निमंत्रण पर वॉशिंगटन, मिनियापोलिस - सेंट पॉल, न्यू ऑरलियन्स, जैक्सन और ऑरेंज काउंटी
का भ्रमण किया।
दूसरे, हम यूरोपीय संघ के निमंत्रण पर एक सप्ताह स्ट्रासबर्ग के केंद्रीय संसद में
गए थे। हमने ब्रसेल्स में संघ के केंद्रीय सचिवालय का भी दौरा किया और वहां के
अधिकारियों के साथ चर्चा की।
तीसरे, कनाड़ा सरकार के निमंत्रण पर बीस दिनों के लिए हमने कनाड़ा के छह प्रमुख शहरों
(क्यूबेक, मॉन्ट्रियल, ओटावा, टोरंटो, कैलगरी और वैंकूवर) का दौरा किया। हमने ओटावा में स्थानीय संसद सदस्यों, बड़े महानगरीय निगमों
के अधिकारियों और राज्य प्रशासन के अधिकारियों के साथ चर्चा की।
अंत में, हमने पंद्रह दिनों के लिए जापान, कोरिया और चीन सरकार के
निमंत्रण पर उन देशों के कुछ शहरों का दौरा किया। निजी कारणों से मैं इस
यात्रा में सरीक नहीं हो सका था।
ये सब हमारे हार्वर्ड पाठ्यक्रम का
औपचारिक हिस्सा थे। इसलिए हमने इन
स्थानों पर एक साथ यात्रा की है। यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित कार्यक्रम और अमेरिकी शहरों के यात्रा-वृतांत पर इस अध्याय
में चर्चा की गई है। जबकि यूरोपीय समुदाय और कनाड़ा के यात्रा-वृतांत परवर्ती
अध्याय में दिए गए है।
न्यू हैम्पशायर, चुनाव एवं
पतझड़
सर्दी में कैंब्रिज, बोस्टन में
बहुत ठंड पड़ती है।
सीधे कनाड़ा से उत्तरी हवा ठंड लेकर आती है। मैंने बोस्टन की हड्डी-कंपाने
वाली ठंड बर्दाश्त की है। एस्किमो वेश में कॉनकॉर्ड एवेन्यू में अपने घर से सीफा तक
थोड़ी दूरी पर चलना बहुत कष्टप्रद था। मुझे बर्फ पर बर्फीले जूते पहनकर चलने का भी
अनुभव है। हार्वर्ड में सितंबर में शरद ऋतु की शुरुआत हो जाती है। शरद ऋतु में पेड़ों
के रंग लाल, पीले, नारंगी और कई मिश्रित रंग हो जाते हैं–ऐसे शोभावन की सुंदरता जिसने नहीं देखी
हो; वह उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता है। हार्वर्ड आने से पहले मैंने भी ऐसा अनुभव
नहीं किया था। मैंने शरद ऋतु में लेनिनग्राद के बाहरी इलाके वाले जंगलों में कुछ
ऐसे पेड़ों को देखा था। बाद में मुझे पता चला कि उत्तरी अक्षांश में शरद ऋतु जल्दी
आती है और जल्दी समाप्त हो जाती है।वहाँ सर्दी दीर्घ समय तक रहती है।
सीफा ने हमारे लिए हार्वर्ड के
उत्तर में स्थित न्यू हैम्पशायर में शरद ऋतु के जंगलों की शोभा देखने की व्यवस्था
की थी। हम सभी एक वातानुकूलित बस में वहाँ गए। अमेरिका में लगभग सभी सड़कें बहुत
चौड़ी हैं, साधारण रास्तों से राजमार्ग, अंतरराज्यीय सड़कें, बेल्टवेज़ और टर्नपाइक
मार्ग और भी चौड़े हैं। वहाँ वाहनों की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक होती है। कम गति वाले वाहन सड़क के किनारे और
सबसे तेज गति वाली गाड़ियाँ सड़क के मध्य में चलती हैं। इसलिए हम लगभग दो
घंटों में ही न्यू हैम्पशायर पहुंच गए।वहाँ के दृश्य देखने के लिए पहले से
व्यवस्था की गई थी। एक छोटी पहाड़ी, जो नीचे से लगाकर ऊपर तक पेड़ों से भरी हुई
थी। और क्या वर्णविभा! क्या रंग-महोत्सव!! केवल भगवान ही ऐसे रंगों को संयोजित कर
सकते हैं। कोई चित्रकार या आधुनिकतम वसन शिल्प-कारीगर भी इतने सारे रंगों और उनके
मिश्रण के बारे में नहीं सोच सकते हैं।फिर पहाड़ी जैसे विस्तृत कैनवास पर मिश्रण
का उपयोग करना प्राय: असंभव है !
न्यू हैम्पशायर के अधिकारियों द्वारा हमारे लिए व्यवस्था की गई थी। कुर्सियां
रखी हुई थीं, चाय, कॉफी और स्नैक्स तैयार थे। मैं चाय पीते हुए उस शानदार दृश्य का आनंद लेने
लगा। किसी ने मानो हृदय पर वह दृश्य अंकित कर दिया हो। जो अविस्मरणीय है, और रहेगा। सत्रह वर्ष के बाद अभी जब मैं उसके
बारे में लिख रहा हूँ तो मेरे मानस पटल पर वह दृश्य उभर कर सामने आने लगता है।
मैंने सुना है शरद का वर्णाढ्य आगमन दस-बारह दिन पहले हुआ है और यह पन्द्रह-बीस
दिन तक रहेगा। बीस दिन के बाद पेड़ धीरे-धीरे अपने आभूषणों को जमीन पर गिरा देंगे।
अलग चरण शुरू होगा। दु:ख से पेड़ पत्तियों को अलविदा कहेगा। लोहे के तारों की तरह डालियाँ, शाखा-प्रशाखाएं अप्रैल तक ऐसे ही खड़ी रहेगी बसंत
के इंतजार में, वे जानते है कि शीत ऋतु को रंगों की सुंदरता
पसंद नहीं है। मृत्यु तुल्य शीतल परिवेश केवल श्वेत बर्फ का स्वागत करती है। इसलिए उन्होंने रंगीन कपड़े त्याग कर विधवा वस्त्र
धारण किया है।
देखते-देखते एक घंटा बीत गया। वापस जाने का समय आ गया। बाद में, मैंने हार्वर्ड की सर्दियों में पेड़ों का ध्यान-मग्न तपस्वी
रूप देखा।
वहाँ से वे अधिकारी हमें डुकाकीस के मुख्य चुनाव कार्यालय में ले गए। न्यू
हैम्पशायर शहर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार माइकल डुकाकीस का अपना क्षेत्र था।वहाँ
उनका बहुत प्रभाव था। चारों तरफ उनके पोस्टर, प्रचारपत्र, टेलीविज़न, समाचार पत्र, टेलीफोन, ईमेल, विज्ञापन आदि के माध्यम से चुनाव प्रचार पर लाखों रूपए खर्च किए गए थे। तब
मुझे पता चला कि अमेरिकी चुनाव कितने महंगे होते हैं ! कितना अनाप-शनाप पैसा
खर्च होता है! पार्टी बहुत पैसा खर्च करती है, दोस्तों,शुभचिंतकों, संगठनों आदि से बड़ी मात्रा में धन भी प्राप्त किया जाता है। डुकाकीस पार्टी
के कार्यकर्ताओं ने हमें सब कुछ समझाया। अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष वोट
से होता है। पोपुलर वोट इलेक्टोराल कॉलेज वोट में बदल जाते है। प्रत्येक राज्य में
ऐसे विशिष्ट संख्या में वोट होते हैं, जिनमें दो भाग होते हैं। एक कांग्रेस में
सदस्यों की संख्या है,जो संबंधित राज्य की जनसंख्या द्वारा तय की जाती है। दूसरा, प्रत्येक राज्य सीनेट
के दो सदस्यों का चुनाव करता है। राज्य का इलेक्टोरल कॉलेज बनाने के लिए दोनों को
मिलाया जाता है। अमेरिका में कुल इलेक्टोरल कॉलेज के वोट 538 है, जिसका अर्थ है कि अगर
किसी को 270 मत मिल जाए तो राष्ट्रपति के रूप में उनका चयन हो जाता है। उदाहरण के
लिए, जॉर्ज बुश को 286 वोट मिले और 2004 के चुनावों में उनके प्रतिद्वंदी जॉन
केरी को 252 वोट मिले। बुश रिपब्लिकन पार्टी (जिसका दूसरा नाम GOP या ग्रैंड ओल्ड पार्टी
है) और कैरी डेमोक्रेट दल का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। एक राज्य में बहुमत प्राप्त
करने वाले उम्मीदवार को राज्य के सभी इलेक्टोरल कॉलेज के वोट मिलते हैं। उदाहरण के लिए, कैलिफोर्निया में 55 मत हैं, टेक्सास में 34 वोट हैं और न्यूयॉर्क स्टेट में 31 वोट हैं (ये तीनों आबादी
के दृष्टिकोण से पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं)। केरी को कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क में अधिक
पोपुलर वोट मिले, जबकि बुश को 2004 के चुनावों में टेक्सास में
अधिक पोपुलर वोट मिले।
डुकाकीस पार्टी और निर्वाचन अधिकारियों ने अमेरिका की चुनाव प्रक्रिया, न्यू हैम्पशायर में
उनकी संभावना, चुनाव प्रचार के विभिन्न पहलुओं और चुनाव के लिए धन जुटाने के तरीकों के
बारे में विस्तार से बताया। ऐसे विशिष्ट संगठन हैं, जो कुछ उम्मीदवारों के लिए बड़ी मात्रा में अनुदान देते
हैं। उदाहरण के लिए, अरबपति जॉर्ज सोरोस ने
जॉन केरी के चुनाव निधि में 200 मिलियन डॉलर
का योगदान दिया था। अधिकारियों ने हमें निजी टेलीविज़न और सार्वजनिक
वाद-विवाद के प्रचार अभियान के बारे में बताया, जो कि प्रमुख उम्मीदवारों की
प्रस्तावित नीतियों का बयान करती है। इसके बाद हमें विपक्षी उम्मीदवार के
चुनाव कार्यालय ले जाया गया। विपक्षी शिविरों के लोगों ने हमें उनके दृष्टिकोण के बारे में बताया कि वे कैसे
डुकाकियों से लड़ने जा रहे हैं। उन्होंने दो दृष्टिकोण समझाए, अर्थात् विदेश नीति और
घरेलू नीति। मैं इस विषय पर ज्यादा नहीं कहना चाहता।
आखिरकार, डुकाकीस से हमारी मुलाक़ात हुई। उन्होंने अपने, अपने परिवार, अमेरिका के लिए उनके सपने और इन सपनों को साकार करने की उनकी योजनाओं के
बारे में संक्षिप्त प्रकाश डाला। सीफा के निदेशक लेस ब्राउन ने पहले हमारा व्यक्तिगत परिचय करा दिया था। उन्होंने हमारे देशों की चुनाव
प्रक्रियाओं के बारे में पूछा। उन्होंने हमारे सवालों का जवाब भी दिया। मैंने उनसे
भारत के संबंध में उनकी पार्टी की नीति के बारे में पूछा था।
चाय-नाश्ता करने और एक ग्रुप फोटो लेने के बाद हम हार्वर्ड लौट आए। हमने सारे रास्ते अमेरिकी चुनावों पर
चर्चा की। हमने लेस ब्राउन से पूछा कि उनके हिसाब से अमेरिका का राष्ट्रपति कौन
होने जा रहा है। उन्होंने अपनी राय देने के साथ-साथ संभाव्य मत भी दिया। उन्होंने
द्विपक्षीय चुनावों की विशिष्ट सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया। बाद में
केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट के राजनीति विज्ञान के विशारद और सीफा के चेयरमैन शमूएल
हंटिंगटन ने हमें कई सैद्धांतिक पहलू समझाए। उसके बाद अमेरिकी सरकार के निमंत्रण पर हमने पांच अमेरिकी शहरों का
दौरा किया।
वॉशिंगटन : अमेरिका
की सर्वशक्तिमान राजधानी की विरासत और संस्कृति
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के सेंटर
फॉर इंटरनेशनल एफेयर्स में एक वर्ष प्रशिक्षण पर आए फ़ेलो के लिए अमेरिका का विदेश
विभाग वहाँ के कुछ शहरों का दौरा करने की
व्यवस्था करता है। उस वर्ष दो सप्ताह यात्रा की योजना बनाई गई थी। यात्रा 9 जनवरी से शुरू हुई और 26 जनवरी को समाप्त।
फेडरल कैपिटल वाशिंगटन हमारा पहला पड़ाव था। बाद में हम मिनेयापोलिस- सेंट पॉल, न्यू ऑरलियन्स, जैक्सन और कैलिफोर्निया
के ऑरेंज काउंटी (उसी क्रम में) हार्वर्ड जाने से पहले गए। हम 9 जनवरी की दोपहर को बोस्टन से वॉशिंगटन गए थे।
जब मैं हार्वर्ड से किसी दूसरे स्थान पर
जाता था तो आम तौर पर मैं अपने
अपार्टमेंट से हवाई अड्डे तक टैक्सी किराए पर ले लेता था। लेकिन उस दिन मुझे मेरे
इस कोर्स के सहपाठी इतालवी मित्र रॉबर्टो टस्कानो और उनकी पत्नी अपने साथ हवाई अड्डे ले गए। श्रीमती टस्कानो ने कार से हम
दोनों को हवाई अड्डे पर छोड़ दिया।
अध्येताओं में 12 लोग हार्वर्ड में सपत्निक रह रहे थे। उन सभी के पास अपनी गाड़िया थीं। पुरानी कारें अमेरिका
में बहुत सस्ते में मिल जाती थीं। उनके पास गाड़ी होने के कारण वे लोग हार्वर्ड ,कैम्ब्रिज केंद्रस्थल से कुछ दूर रहते थे। नजदीक
में दो अन्य प्रसिद्ध विश्वविद्यालय भी थे। एक था बोस्टन विश्वविद्यालय और दूसरा
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी)। इस क्षेत्र में घर का किराया
बहुत अधिक था। उदाहरण के लिए, विश्वविद्यालय परिसर के निकट कॉनकॉर्ड एवेन्यू के जिस अपार्टमेंट में मैं
रहता था, उसका मासिक किराया 900 डॉलर था। दक्षिण कोरिया के मेरे दोस्त यांग ली सोमरविल में मेरे घर से बड़े
घर में रहते थे, जिसका मासिक किराया मात्र 1000 डॉलर था। हमारे
सपत्निक मित्र हार्वर्ड में रहते समय हमें
रात्रि-भोज पर आमंत्रित करते थे। ऐसे अवसरों पर मुझे कोरियाई, जापानी, इतालवी, जर्मन और स्वीडिश
व्यंजनों का आनंद लेने का अवसर मिला। मेरी तरह नौ अकेले रहने वाले मित्र अपने दोस्तों
और अध्यापकों को फ़ैकल्टी क्लब या किसी होटल में रात्रि-भोज के लिए आमंत्रित किया
करते थे ।
सामान्य तौर पर अमेरिका की फ्लाइटें देरी से नहीं चलती है, लेकिन उस दिन बर्फबारी से मौसम खराब
था।विमान उड़ने में कुछ देरी हुई। हम लगभग आठ बजे वाशिंगटन पहुंचे। वाशिंगटन से 22 मील दूर जर्मनटाउन में मेरी पत्नी के मामा की बेटी बुबु और दामाद रबू रहते
थे। हार्वर्ड में अकेले रहने के कारण
वे अक्सर टेलिफोन पर मेरे हालचाल पूछह ते रहते
थे। जब उन्हें पता चला कि मैं वॉशिंगटन में आ रहा हूं, तो उन्होंने आग्रह किया कि मैं उनके साथ रहूँ, न कि किसी होटल में। मेरे आगमन का समय उन्हें मालूम था,इसलिए मेरे होटल पहुँचने से आधे घंटे पहले ही रबू
वहाँ पहुंच गया था। होटल से जर्मनटाउन में उनके घर तक जाने के लिए गाड़ी में एक घंटा
लगता था। बुबु खाना बनाकर घर में हमारा
इंतजार कर रही थी। उनकी छह ह साल की बेटी भी जाग रही थी। उस समय बर्फबारी की वजह
से हर जगह सफेद नजर आ रही थी। खाना खाने के बाद हम गपशप करने लगे, क्योंकि हम एक लंबे अंतराल के बाद एक दूसरे से मिल रहे थे। अगला दिन रविवार
था और रबू की छुट्टी थी। वे वॉशिंगटन की बड़ी कंपनी आईबीएम में काम करते थे।हर दिन अपने घर से आना-जाना
करते थे। उस दिन हमारा भी कोई प्रोग्राम नहीं था। स्वेच्छा से हम कहीं भी जा सकते थे।
हिमपात वाली उस सुबह चाय-नाश्ते के बाद छोटी लड़की शिबानी मेरी मार्गदर्शिका
बनकर मुझे छोटे से तालाब के पास ले गई, वहाँ तैरते 4-5 बतखों को दिखाने के लिए। रात में भारी हिमपात हुआ था। हमने
अवसर के अनुरूप एस्किमो कपड़े पहन रखे थे। तालाब के कुछ किनारे
बर्फ से जम गए थे। फिर भी बतख़ें खुशी से तैर रही थीं।यह जाहिर था कि शिवानी उनकी
पुरानी दोस्त थी। वह उनके लिए कुछ खाना ले जाती थी और उन्हें खुशी से खिलाती थी।
रबू की योजना के अनुसार 12 बजे हम बाल्टीमोर के लिए रवाना हुए। वहाँ हम
दोनों को श्री रवि पटनायक ने मध्याह्न भोजन के लिए आमंत्रित किया था। उस दिन रवि
बाबू ने कई ओड़िया मित्रों को भी खाने पर
बुलाया था। श्री सर्वेश्वर आचार्य उनमें से एक थे। वे कटक के रेवेन्शा कॉलेज के
रसायन विज्ञान के पूर्व छात्र थे। श्री शरत मिश्रा(आई.पी.एस.) भी वहाँ थे,जो कभी भारतीय दूतावास में पहले काम करते थे। उनकी बेटी न्यूयॉर्क स्टेट
यूनिवर्सिटी में अध्ययन कर रही थी। श्री नलिनी पंडा,कुछ समय पहले यहाँ आए थे। उनके बेटे-बेटी की पढ़ाई
मैरीलैंड में हुई थी। मैं मेरे एक और मित्र श्री योगेश पति से मिलने के लिए उत्सुक
था, जिनका भौतिक विज्ञानी में बहुत नाम था। योगेश बाबू रेवेन्शा कॉलेज में मेरे
दो साल सीनियर थे। हम दोनों रेवेन्शा के पूर्व छात्रावास में रहते थे,पास-पास अलग-अलग रूम में। उनकी अध्ययन की नियमितता और प्रगाढ़ अनुराग मुझे प्रभावित करता
था। उन्होंने पढ़ाई में मेरी बहुत मदद की
थी। प्रत्येक दिन निर्धारित समय पर छात्रावास में बत्ती बुझा दी जाती थी। उन दिनों
जोगेश बाबू खड़ाऊँ पहनते थे। बत्ती बुझते ही खड़ाऊँ की खट-खट करते हुए वह बाथरूम में
जाते थे। वह आवाज मुझे याद आने लगी। मगर योगेश बाबू अपनी पत्नी के साथ भारत चले गए
थे। इसलिए उनसे मुलाक़ात नहीं हो सकी।बंधु-मिलन और आतिथ्य ग्रहण करने के बाद हम शाम
को जर्मनटाउन लौट आए।
उसके दूसरे दिन हम सुबह सात बजे वाशिंगटन के लिए रवाना हुए। पहले दिन से
बहुत अधिक समय लगा था- लगभग दो घंटे। क्योंकि जर्मनटाउन में रहने वाले बहुत सारे
लोग वॉशिंगटन में काम करते थे और हाइवे पर काफी ट्रेफिक था। मुझे होटल में छोड़कर
रबू अपने ऑफिस चले गए।
वाशिंगटन पृथ्वी पर सबसे अमीर और सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका की राजधानी
है। अमेरिकी संसद, राष्ट्रपति-कार्यालय, सभी प्रशासनिक प्रभाग और सुप्रीम कोर्ट यहां स्थित हैं। सभी सरकारी नीतियां
यहां बनती हैं और यह सभी राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों की केंद्र-स्थली है।
राष्ट्रीय जीवन में अहम भूमिका अदा करने के कारण वाशिंगटन अमेरिका का सबसे
महत्वपूर्ण शहर है, भले ही,यह न्यूयॉर्क, शिकागो और लॉस एंजिल्स जैसी अन्य शहरों की तुलना में बहुत छोटा है।
वाशिंगटन केवल सत्ता, शक्ति, प्रशासन, सरकारी संप्रभुता और वित्तीय मसलों का ही केन्द्र नहीं है, वरन यह अमेरिका का
प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र भी है।
स्मिथसोनियन संग्रहालय और यहां की गैलरी दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। यह
अमेरिका के सिनेमाघरों, ओपेरा, पेंटिंग, गायन और नृत्य का भी केंद्र-स्थल है। उदाहरण के लिए, जॉन एफ कैनेडी सेंटर
में तीन थियेटरों और दो ओपेरा शो में साल भर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते
है। दुनिया के कई देशों के बैले नृत्य नियमित रूप से वॉशिंगटन में किए जाते हैं। स्मिथसोनियन
संगठन द्वारा अमेरिका के लोक कला और लोक नृत्य पर शोध की व्यापक व्यवस्था की गई
है। नतीजतन अमेरिकी-भारतीय नृत्य और संगीत पर कई फिल्में, डीवीडी और सीडी बनाई
जाती है।इस तरह वाशिंगटन, शक्ति, प्रशासन और संस्कृति के
क्षेत्र में अमेरिका के जन-जीवन में एक
विशेष स्थान रखता है।
हमारी यात्रा के पहले दिन पहली बैठक
स्टेट डिपार्टमेन्ट में आयोजित की गई थी। अमेरिका का स्टेट डिपार्टमेन्ट उनका
विदेश मंत्रालय है। स्टेट सचिव उनके विदेश मंत्री होते हैं। स्टेट डिपार्टमेन्ट एक
बड़ा संगठन है।दुनिया के हर दूसरे देश के संबंध में अमेरिका जैसे एक शक्तिशाली
राष्ट्र की विदेश नीति यहां पर निर्धारित की जाती है। स्टेट डिपार्टमेन्ट के कई
उप-विभाजन हैं, अर्थात् नाटो, यूरोपीय संघ, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन
अमेरिका। स्टेट डिपार्टमेन्ट का दो अन्य संगठनों के साथ घनिष्ठ संबंध है, जैसे रक्षा और आंतरिक
सुरक्षा।
हमने स्टेट के उप सचिव से मुलाकात की और स्टेट डिपार्टमेन्ट में हमारे साथ
कई मुद्दों पर चर्चा हुई। विदेशी सीनेट समिति के एक सीनेटर और दक्षिण पूर्व एशिया
और नाटो की देखभाल करने वाले दो वरिष्ठ अधिकारी उनके साथ थे। उन्होंने हमें स्टेट
डिपार्टमेन्ट के काम-काज, उसके अतीत और वर्तमान, युद्ध और शांति के समय में रक्षा और आंतरिक सुरक्षा विभागों के साथ घनिष्ठ
संबंध के बारे में समझाया। हमारी चर्चा शुरु होने से यूनाइटेड स्टेट इन्टरनेशनल
एफेयर्स (यूएसआईए) द्वारा एक शानदार दावत का आयोजन किया गया था।
स्टेट डिपार्टमेन्ट से हम दुनिया का सबसे बड़े पुस्तकालय देखने गए। अमेरिका
के लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में दुनिया के सभी देशों की,सभी भाषाओं में और सभी विषय पर पुस्तकें
उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त, विभिन्न विषयों पर विभिन्न देशों की कई
पत्रिकाएं भी वहाँ हैं। विश्वविद्यालय पुस्तकालयों के हिसाब से हार्वर्ड विश्वविद्यालय की वाइडनर लाइब्रेरी विश्व
में सबसे बड़ी है, लेकिन लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में पुस्तकों का सबसे बड़ा संग्रह है।
लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में 11 हजार करोड़ वस्तुओं को संरक्षित किया गया है, जिसमें मुद्रित किताबें, पांडुलिपियां, प्राचीन फोटोग्राफ, शास्त्रीय संगीत की मूल शीट आदि शामिल हैं।
हमने लाइब्रेरी में चारों ओर घूमते समय थॉमस जेफरसन की निजी पुस्तकें,नोटबुक और निखुण भाव से रखी हुई अनेक प्राचीन
बाइबल देखी। इसके अलावा, कंप्यूटर डिजिटल मशीनों के माध्यम से भी कई दस्तावेजों को संरक्षित किया गया
है। विभिन्न देशों के प्रमुख लोगों के रचना-पाठ पर लाइब्रेरी ने सीडी और वीसीडी
तैयार की है,जिसे एक अलग कमरे में सुरक्षित रखा गया है। कुछ साल पहले, उन्होंने पूर्व एशियाई
लेखकों की रचनाओं पर सीडी तैयार की थी। नई दिल्ली में यू.एस.आई.ए.के कार्यालय ने
भारतीय लेखकों की ऐसी सीडी और वीसीडी तैयार की थी। इस संग्रह में मेरी भी ग्यारह
कविताएं संकलित हैं । हार्वर्ड आने से पहले मुझे पता चला था कि नई दिल्ली का यह कार्यालय हर भारतीय भाषाओं की किताबें
एकत्रित कर ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस’ में भेज रहा है। मेरी पत्नी के चचेरे भाई श्री नागेंद्र नाथ मोहंती नई
दिल्ली में इस संगठन में काम करते थे। इस लाइब्रेरी में प्राचीन, मध्ययुगीन और आधुनिक ओड़िया
साहित्य, ओड़िया इतिहास, महिमा-धर्म, जगन्नाथ संस्कृति आदि
कई किताबें देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। मेरा मानना है कि ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस’ दुनिया का सबसे बड़ा
सांस्कृतिक संगठन है, जो अमेरिका के लिए गर्व और गौरव है। यह
बहुमंजिला पुस्तकालय वाशिंगटन के स्मिथसोनियन, व्हाइट हाउस, यूनियन स्टेशन, वाशिंगटन स्मारक और लिंकन मेमोरियल की तरह मील का एक पत्थर है। हम लाइब्रेरी
का केवल छोटा-हिस्सा घूम पाए थे। मुख्य लाइब्रेरियन ने कुछ अधिकारियों के साथ हमें
उनके कॉन्फ्रेंस हॉल में पुस्तकालय के संक्षिप्त इतिहास, पुस्तकों के संग्रह और
वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी थी।
‘लाइब्रेरी ऑफ कॉंग्रेस’ ने हमारे लिए दोपहर के
भोजन की व्यवस्था की थी। भोजन करने के बाद हम वाशिंगटन के प्रसिद्ध रेलवे स्टेशन देखने
गए,जिसका नाम था यूनियन स्टेशन।यह रेलवे स्टेशन वांशिगटन का ही नहीं, अमेरिका का ही नहीं, वरन वास्तुशिल्प कला की दृष्टि से यह दुनिया
का अनुपम और वृहत रेलवे स्टेशन है। यह पारंपरिक रेलवे स्टेशन नहीं है, जब तक आप इसे देखेंगे नहीं, तब तक इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है।केवल
रेलवे स्टेशन कहना इस अनुष्ठान के प्रति अन्याय और सौजन्यता का अभाव माना जाएगा। यूनियन
स्टेशन के सामने एक अर्ध-वृत्ताकार जगह है। जहां प्रतिदिन लाखों की संख्या में
कारें आती है, जिनकी पार्किंग के लिए समुचित व्यवस्था उपलब्ध है। स्क्वायर के सामने रास्ते
के बाहर की ओर देश-विदेश के कई झंडे लगे हुए हैं और स्क्वायर के अंदर फव्वारें और खूबसूरत मूर्तियाँ
स्थापित की हुई हैं। इन सब को पार कर जब आप अंदर प्रवेश करेंगे तो आपको लगेगा कि
आप किसी सुंदर संग्रहालय में प्रवेश कर रहे हैं। रेलवे पटरियां प्रवेश द्वार से
बहुत दूर हैं। इस विशाल हाल के भीतर कई खुले रेस्तरां, पुस्तक और कलात्मक वस्तुओं की दुकानें इस जगह को मॉल और संग्रहालय के मिश्रित रूप को प्रदर्शित
करती हैं। इसलिए विदेशी पर्यटक वॉशिंगटन की
इस जगह को अवश्य देखते है। मुझे हार्वर्ड के दोस्तों और गाइड के साथ यह जगह
बहुत अच्छी लगी। बहुत पहले मैंने इसे 1973 में देखा था। इस हॉल में बैठकर विश्वास
करना मुश्किल है कि कितनी सारी ट्रेनें हर दिन यहाँ आती हैं! कहने की जरूरत नहीं
है कि अमेरिका जैसे बड़े देश की राजधानी का रेलवे स्टेशन होने के कारण यहाँ हर रोज
आने वाले यात्रियों की संख्या बहुत अधिक है। बेशक, समय के साथ हवाई यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। अमेरिका
में जनसाधारण सम्पन्न होने के कारण ट्रेन
से यात्रा करना अक्सर पसंद नहीं करते हैं। हमारे गाइड ने कहा, "कुछ ऐसे लोग हैं जिनके
पास समय ही समय है और जो एक बंद कोठरी से कहीं जाना पसंद नहीं करते हैं। जिन्हें दोनों तरफ तरह-तरह के दृश्यों को
देखना अच्छा लगता हैं। ऐसे लोग रेल यात्रा का आनंद उठाते हैं। जब यह पहली बार 1908
में बनाया गया था तब यह दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन था। अब भी यह दुनिया के
सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है। लगभग दो करोड़ तीस लाख लोग हर साल इसे
देखने आते हैं।”
हमारी अगली सुबह पेंटागन में बीती। पेंटागन अमेरिका के रक्षा विभाग और
आंतरिक सुरक्षा का प्राण-केंद्र है। इस विशाल पांच मंजिला इमारत में तकरीबन 20 हजार लोग काम करते हैं। जब पोटॉमैक नदी जम
जाती है, यह स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है। उस नदी के पुल को पार कर फेयरफैक्स
की ओर जाने से पेंटागन आता है। पेंटागन रक्षा-विभाग का मुख्य कार्यालय है। यह
विदेश विभाग और आंतरिक सुरक्षा विभाग के
साथ लगातार संपर्क बनाए रखता है और
नीति-निर्धारण एवं रोज़मर्रा के कार्यों के बारे में उनकी सलाह लेता है। इस
दृष्टि से पेंटागन अमेरिका के शिल्प और पूंजीवादी सभ्यता का सबसे शक्तिशाली विभाग
है। आधुनिक हथियारों के निर्माण के क्षेत्र में उन्नत अनुसंधान के लिए पेंटागन का
अपना वैज्ञानिक संगठन है। इसके अलावा, पेंटागन प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों जैसे हार्वर्ड और एम.आई.टी. को अनुदान भी प्रदान करता है। पेंटागन
का मुख्य उद्देश्य सर्वोत्तम युद्ध उपकरण निर्माण करना है। अमेरिका की सर्वोत्तम
रक्षा ही पेंटागन का लक्ष्य है। थल सेना, वायु सेना और नौसेना के लिए सर्वोत्कृष्ट उपकरण पेंटागन के प्रत्यक्ष
पर्यवेक्षण में तैयार किए जाते है। इसके
अलावा, दूसरे देशों को अमेरिका द्वारा बेचे जाने वाले हथियारों पर भी यह निगरानी
रखता है।
पेंटागन में हमारे लिए एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया था, जिसमें रक्षा मंत्रालय, विदेश विभाग और आंतरिक
सुरक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हमें उनके कामकाज की सविस्तार जानकारी
प्रदान की।सवाल-जवाब सत्र के माध्यम से भी हमें बहुत-सी जानकारी प्राप्त हुई।
उन्होंने संगोष्ठी के बाद हमारे लिए दोपहर के भोजन की व्यवस्था की ।
बहु-मंजिला अमेरिकी संसद वास्तुशिल्प दृष्टिकोण से काफी उल्लेखनीय है और
वाशिंगटन दृश्यदिगंत का प्रमुख दृश्य है। इस गोलाकर अट्टालिका को ‘कैपिटल’ कहा जाता है। संघीय कानून बनाने के लिए हमारे संसद की तरह यहाँ अमेरिका के
हाऊस ऑफ कॉंग्रेस और सीनेट दोनों यहां स्थित हैं। शक्तिशाली सीनेट की सभी समितियों
की बैठकों का आयोजन इस भवन के अंदर किया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति और
उपराष्ट्रपति के कार्यालय भी इसके अंदर हैं। अन्य देशों के बड़े-बड़े नेतागण अमेरिका
के दौरे पर आते हैं,वे यहाँ कांग्रेस एवं सीनेट के
संयुक्त सत्र को संबोधित करते हैं।
जॉर्ज वाशिंगटन ने 1793 में कैपिटल भवन की आधारशिला रखी थी। जहां कैपिटल का
निर्माण किया गया है,उस जगह को ‘कैपिटल हिल’ के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण 1793 में शुरू होकर 1830 में समाप्त
हुआ था। मगर बाद में कुछ परिवर्तन भी हुए हैं। अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन का स्मारक इसके आस-पास है। संगमरमर से बने इस स्मारक में छह ब्बीस
गोलाकार खंभे हैं। ऐसा माना जाता है कि रोम के पैन्थियॉन की वास्तुकला ने जेफरसन
को विशेष रूप से प्रभावित किया था। उन्होंने वर्जीनिया विश्वविद्यालय की स्थापना
में इस वास्तुकला को अपनाया। अंत में, ऐसे छह ब्बीस गोलाकार खंभे उनके
स्मारक में लगाए गए थे।
अमेरिकी राष्ट्रपति मुख्यतः व्हाइट
हाउस से अपना कार्य निष्पादित करते हैं। मगर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि
कैपिटल अमेरिकी जीवन, समाज और अर्थव्यवस्था का प्राण-केंद्र है। इसके अलावा, यूनियन स्टेशन के नजदीक अमेरिका का सुप्रीम
कोर्ट, व्हाइट हाउस, वाशिंगटन स्मारक और लिंकन मेमोरियल- सभी एक सीधी रेखा पर स्थित हैं। उनके
दोनों तरफ वाशिंगटन की दो प्रमुख सड़कें,इंडिपेंडेंस एवेन्यू और कान्स्टीट्यूशन एवेन्यू हैं। कैपिटल के अंदर ले जाकर
गाइड ने हमें इसके बारे में साधारण जानकारी दी। अवश्य, हमें वाशिंगटन की सारी दर्शनीय संस्थानों की अच्छी-ख़ासी जानकारी थी। हम
कैपिटल से व्हाईट हाउस में आए। वाशिंगटन में व्हाइट हाउस सबसे महत्वपूर्ण स्थान
है। 16 वीं, एवेन्यू, पेनसिल्वेनिया कहना ही पर्याप्त है।यह दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के सबसे
क्षमता-सम्पन्न प्रशासनिक प्रमुख का निवास-स्थान
है। जॉर्ज वॉशिंगटन को छोड़कर, उन्नीसवीं शताब्दी की शुरुआत से अमेरिका के सभी राष्ट्रपति वहां रहे हैं। व्हाइट
हाउस वास्तव में सफेद,मगर बहुत ऊंचा घर
नहीं है। इसके अंदर हॉल का नाम अलग-अलग है, लेकिन ओवल ऑफिस उन सभी में सबसे महत्वपूर्ण है। अमेरिकी
राष्ट्रपति युद्ध और शांति के दौरान, अमेरिका के आपातकाल तथा स्मरणीय घटनाओं के घटित होते समय इस कार्यालय में
अपने मुख्य सलाहकार और सीनियर वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर विचार-विमर्श करते हैं। व्हाइट
हाउस सन 1800 के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपतियों का आधिकारिक निवास-स्थान है। उस साल
अमेरिका की राजधानी फिलाडेल्फिया से वॉशिंगटन में स्थानांतरित हुई। राष्ट्रपति
जॉर्ज वॉशिंगटन ने व्हाइट हाउस के इस स्थान का चयन किया था। हमें ओवल ऑफिस ले जाने
के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। जन साधारण के लिए व्हाइट हाउस के पांच कमरें खुले
रखे जाते हैं। इनमें राष्ट्रीय डाइनिंग हाल, ब्लू रूम, ग्रीन रूम, रेड रूम और ईस्ट रूम शामिल हैं। ग्रीन रूम ड्राइंग रूम के प्रयोजन में आता
है। उच्च स्तरीय राष्ट्र अतिथियों का स्वागत ब्लू रुम में किया जाता है। पूर्व
राष्ट्रपति की तस्वीरें रेड रूम की दीवारों पर देखी जा सकती हैं। ईस्ट रूम में
कंसर्ट,संगीत सभा, बॉल डांस आदि
का आयोजन किया जाता है।
जॉन एडम्स से लेकर सभी राष्ट्रपति यहाँ रहे हैं। जब अंग्रेजों ने सन 1814
में क्रोध से व्हाइट हाउस में आग लगा दी थी,तब राष्ट्रपति मैडिसन अपना कार्यालय दूसरी जगह ले गए थे।
शाम को होटल लौटकर हम केनेडी सेंटर एचएमएस पिनार्फ ऑपेरा देखने गए। यूएसआईए
ने हम सभी के टिकट खरीद लिए थे। यूएसआईए के दो अधिकारी भी हमारे साथ थे। ऑपेरा
शुरू होने से पहले हमने केनेडी सेंटर के चारों तरफ घूमकर थोड़ी-बहुत जानकारी अर्जित
कर ली थी। कॉन्सर्ट हॉल और ओपेरा हाउस के अलावा केनेडी सेंटर में तीन अन्य थिएटर
थे। सेंटर की वास्तुकला बहुत आकर्षक थी। मेरे हिसाब से यह अमेरिका में थिएटर, ओपेरा और कॉन्सर्ट
की सबसे सुंदर संरचना होगी। जॉन कैनेडी की
स्मृति में बनाया गया यह सेंटर पोटॉमैक नदी से
बहुत दूर नहीं है और वॉशिंगटन के पार्श्व में है। यहाँ से एक रास्ता मैरीलैंड और
वर्जीनिया की तरफ गया है, दूसरा घुमावदार रास्ता वाशिंगटन के प्रसिद्ध जॉर्जटाउन की तरफ जाता है।
जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय बहुत प्रसिद्ध है। लगभग 104 एकड़ के परिसर में
छोटी-बड़ी साठ इमारतें हैं, इसके रोल में 2,500 छात्र हैं। यह अमेरिका के
सबसे पुराने कॉलेजों में से एक है। यह सन 1788 में केवल बारह विद्यार्थियों को
लेकर खोला गया था।
शनिवार और रविवार हमारी छुट्टियां थीं। मेरे दो दोस्त (एक कनाड़ा से और दूसरा इटली से) और मैं नियाग्रा की यात्रा
पर गए। पहले दिन हम कार से बफ़ेलो सिटी तक
गए, उसके अगले दिन नियाग्रा में हमने आधा दिन बिताया और शाम को वाशिंगटन लौट आए। बेशक, हमें वहाँ थोड़ा समय
मिला। फिर भी मुझे पछह तावा नहीं था क्योंकि यह मेरी नियाग्रा की दूसरी यात्रा थी।
मेरे कैनेडियन मित्र भी इस वजह से परेशान नहीं थे। हमारे इतालवी मित्र निश्चित रूप
से कुछ और समय बिताना चाहते थे। लेकिन समय पर वाशिंगटन पहुंचने के लिए हमें लौटना
पड़ा। वापसी यात्रा से पहले, हम दोपहर का भोजन ले चुके थे। सप्ताह का अंतिम दिन होने के कारण दर्शकगण बड़ी
संख्या में वहां आए हुए थे। कनाड़ा की तरफ कम रेस्तरां थे,जबकि बफ़ेलो की तरफ बहुत सारे रेस्तरां थे।
फिर भी वहाँ हर जगह भीड़ थी। हमें दोपहर के भोजन के लिए करीब पंद्रह से बीस मिनट
इंतजार करना पड़ा। अधिक दूर पैदल चलने और नौकायन के कारण उस समय हमें बहुत भूख लगी
थी। सौभाग्य से हमें खाने के लिए अच्छा भोजन मिला। मेरे हिसाब से उस दिन वहाँ लगभग
दस से बारह हजार दर्शक रहे होंगे।
दर्शक नदी तक नीचे उतरने के लिए लिफ्ट अथवा दूसरे साधनों से जा सकते हैं।
दर्शकों के बैठने के लिए बड़ी संख्या में बैंच बने हुए है।प्रपात से नदी के स्रोत
की विपरीत दिशा में दूर तक जाने के लिए एक सुंदर पैदल रास्ता भी बन रहा है। अधिकांश
दर्शकों के हाथों में कैमरे, हैंडीकैम, तस्वीर और ध्वनि दोनों रिकॉर्ड करने के
इन्स्ट्रुमेंट थे। नियाग्रा पर बने वृत्तचित्रों में मेरा मानना है कि 'इमिक्स फिल्म' सबसे ज्यादा उत्कृष्ट है। वहां लगभग सौ से डेढ़ सौ जापानी पर्यटक प्रतिदिन
आते थे। उनके हाथों में विभिन्न प्रकार के कैमरे होते थे। मैंने विभिन्न जगहों पर
जापानी पर्यटकों को देखा है और मेरा विश्वास है कि दुनिया में शायद ही ऐसा कोई
राष्ट्र होगा,जिसे इतनी ज्यादा फोटोग्राफी पसंद है। वे शायद दुनिया के सर्वश्रेष्ठ
फोटोग्राफर भी हैं।
अनेक युग पहले नियाग्रा का रूप देखकर, ध्वनि सुनकर, अमेरिका के मूल
निवासियों ने इसे 'थंडर ऑफ द वाटर्स' की संज्ञा दी है। 167 फीट की ऊंचाई से गिरती जलराशि वाष्प बनकर आकाश में
बादलों की तरह उड़ती हुई नजर आती है। नियाग्रा में प्रति मिनट 35 मिलियन गैलन पानी
गिरता है।
मैंने कनाड़ा के टोरंटो से पहले
नियाग्रा देखा था। इस बार मैंने इसे अमेरिका के बफेलो शहर की तरफ से देखा।
नियाग्रा प्रपात तीन भागों में विभाजित किया गया है:अश्वखुर अर्थात् घोड़े के खुर के आकार का बड़ा हिस्सा (लगभग 90
प्रतिशत) कनाड़ा में है। शेष अमेरिका में है। मध्य में एक बहुत ही संकीर्ण पट्टी
आती है, जिसे 'ब्राइडल वेल' अर्थात् कन्या का घूँघट कहा जाता
है। नियाग्रा प्रपात नदी में गिरने से पहले दो भागों में बंट जाता है। बीच में एक
छोटा द्वीप है,जिसे गोट आइलैंड अर्थात् ‘बकरी द्वीप’ कहा जाता है। हम तीनों दोस्त (हम अपने आपको ‘द थ्री मस्केटीयर’ कहते थे) एक ही पल में रॉक हाउस प्लाजा एलेवेटर द्वारा 125 फीट नीचे चले गए
और जल-स्तर तक पहुंच गए। अधिकारियों ने हम
प्रत्येक को एक-एक रेनकोट दिया था। लिफ्ट से उतरने के बाद जल-वाष्प ने हमें गीला
कर दिया। ऊपर से भयंकर गर्जन के साथ गिरने वाला पानी हमें कुछ डरा रहा
था। फिर भी यह दृश्यावली देखने में आनंद आ रहा था। कनाड़ा और अमेरिका के दोनों तरफ
ऐसी लिफ्टों की व्यवस्था है। इसके बाद हम एक स्टीम बोट में बैठे जिसका नाम था 'द मैड ऑफ़ द मिस्ट' । उससे हम वहाँ तक गए, जहां पानी गिर रहा था। मैंने पहले ‘इमिक्स फिल्म’ में नियाग्रा को देखा था। इस फिल्म की कहानी में मिथक, चमत्कार और जादू दिखाया
गया है। मिथक इस प्रकार है : बहुत समय पहले, एक अमेरिकन इंडियन गाँव (जो नियाग्रा प्रपात से दूर नहीं था) की सुंदर युवती
लेलावाला की एक बूढ़े से शादी करवा दी गई। उस लड़की को उस आदमी से बिलकुल प्यार
नहीं था। वह किसी और से प्यार करती थी। दु: खी, पीड़ित और असहाय लड़की ने रात में
नियाग्रा में कूदकर आत्महत्या कर ली। वह बन गई 'द मैड ऑफ़ द मिस्ट' अर्थात् कोहरे की कन्या। इस प्रकार यह परिचित मिथक बन
गया। अमेरिकन इंडियन मिथक में यह कहा जाता है कि जलप्रपात के कोहरे के अंदर उस लड़की
का रूप दिखाई देता है। उसकी आवाज़ जल की गर्जन में सुनाई देती है। कई सत्य घटनाएं समय
के साथ मिथकों में बदल जाती हैं। फिल्म में कुछ अन्य
घटनाओं का भी वर्णन है। ऐनी टेलर, एक शिक्षिका ने 1901 में
लकड़ी का एक बड़ा बैरल बनाया और उसके अंदर उसने अपनी प्रिय बिल्ली के साथ प्रवेश
किया और अपने दोस्तों से कहा कि वे इसे नियाग्रा में डाल दे। बैरल 167 फीट की
ऊँचाई से नीचे गिरा और नदी के किनारे पहुंचने तक पानी पर तैरता रहा। श्रीमती ऐनी
और उनकी बिल्ली सकुशल जीवित थी,जब उन्हें बैरल से बाहर निकाला गया। उन्नीसवीं शताब्दी में एक और दुस्साहसी
व्यक्ति ने बांस पकड़कर रस्सी पर चलकर नियाग्रा प्रपात पार किया था। इस दृश्य को
देखने वाले सैकड़ों दर्शकों ने उसकी सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना की थी।
दोनों श्रीमती ऐनी और ब्लोंडिन बच गए थे, मगर कई लोग नियाग्रा में अपनी जान
गंवा चुके हैं। मुझे ये सब याद आने लगा, जब मैं ‘द मेड ऑफ द मिस्ट’ बोट और स्पैनिश एयरो-कार से गर्जन वाली जगह पर पहुंचा। मेरे जैसा डरपोक
आदमी मेरे दो निडर मित्रों के बलबूते के बिना यह यात्रा नहीं कर सकता था।
नियाग्रा प्रपात से पानी का उद्दाम स्तंभ सीधे बहुत ऊंचाई से नीचे गिरता है।
क्या पानी में तैरती हुई मछह लियाँ नीचे गिर जाएगी? आम तौर पर, मछह ली अपने सुलभ ज्ञान के कारण प्रपात तक पहुँचने से पहले खतरे को भाँप
लेती हैं। इसलिए वे प्रपात के
विपरीत दिशा में तैरते हुए वापस चली जाती हैं। मगर जैसे कि हर जगह कुछ बेवकूफ
लोग होते हैं,वैसे ही कुछ बेवकूफ मछह लियां भी होती हैं।वे बेवकूफ मछह लियां
खुद की तरफ ध्यान दिए बगैर विपरीत दिशा में लौट नहीं पाती हैं।झरने के प्रखर वेग
से कुछ मछह लियां नीचे गिर जाती हैं।
एक विद्वान व्यक्ति ने इस विषय पर शोध किया था, उसका कहना है कि मछह ली गिरते ही तुरंत नहीं मरती।लेकिन उनमें से ज्यादातर
थोड़ी देर के लिए बेहोश हो जाती हैं और पानी की सतह पर असहाय रूप से तैरने लगती हैं।
उस समय नीचे उड़ने वाले सारसों का आसानी से भोजन बन जाती हैं।
इस शोधकर्ता के पास कुछ रोचक जानकारी भी है। कुछ वर्ष पहले प्रपात के
निम्नतम स्तर पर बने पैदल मार्ग पर एक पर्यटक चल रहा था। एक बड़ी मछह ली ऊंचाई से गिरी
और पानी से टकराकर उस आदमी के पीठ से टकराई। उस आदमी को थोड़ी चोट लगी, लेकिन वह उस मछली को
अपने घर ले गया और खुशी से उसे खाया होगा। दर्शकों को आकर्षित करने के लिए
नियाग्रा के नजदीक कई खूबसूरत उद्यान, संग्रहालय, गोल्फ़ कोर्स, कैसीनो, बार, हॉल ऑफ हॉरर आदि बनाये गए हैं।
नियाग्रा इन चीजों की तरफ भ्रूक्षेप किए बिना निरंतर बह रहा है। यह नीचे की
ओर ऐसे ही बह रहा है जैसे कि यह बारह हज़ार साल पहले बहा करता था। "अवश्य, यह डेढ़ करोड़ दर्शकों
का हर साल यहां सम्मान करता हैं। लेकिन इसके अधीर पानी को इनकी वाणिज्यिक मनोवृत्ति
समझ में नहीं आती हैं।" मानो नियाग्रा
अपने वज्र निर्घोष से यह बात बता रहा हो। इस तरह हम नियाग्रा की यात्रा समाप्त कर
देर रात वाशिंगटन लौट आए।
वॉशिंगटन में आखिरी दिन हमें लिंकन
मेमोरियल और वाशिंगटन स्मारक देखने ले जाया गया। खूब बर्फबारी होने के कारण
वॉशिंगटन स्मारक तक पैदल जाने की इच्छा नहीं हुई। हमने इसे दूर से देखा। मेरे
वॉशिंगटन के पहले दौरे में मैंने इसे नजदीक से देखा था। यह स्मारक वॉशिंगटन में
सबसे लोकप्रिय और दर्शनीय खूबसूरत जगह है। जॉर्ज वाशिंगटन की स्मृति में संगमरमर
और ग्रेनाइट से बनी यह 555 फुट ओबिलिस्क(सूच्याकार स्तम्भ) वाशिंगटन में प्रवेश
करते ही ध्यान आकर्षित करती है। जॉर्ज वॉशिंगटन अमेरिकी जीवन और राजनीति में सबसे
महत्वपूर्ण और स्मरणीय व्यक्तित्व है।
लिंकन मेमोरियल 30 मई, 1922 को देश को समर्पित
किया गया था। स्मारक तीन चीजों की याद दिलाता है : गृह युद्ध, जो लंबे समय तक चला, विजयी स्वतंत्रता-संग्राम
और अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में अब्राहम लिंकन के व्यक्तित्व। लिंकन अमेरिका
के सोलहवे राष्ट्रपति थे। स्मारक के अंदर एक बहुत ही ऊंचे सिंहासन पर बैठे हुए
लिंकन की प्रतिमा प्रसिद्ध वास्तुकार
डैनियल चेस्टर फ्रेंच ने बनाई थी। प्रतिमा पूरी तरह से निर्दोष है, लिंकन का मानवतावाद और उनकी दृढ़ता भी इस प्रतिमा
में प्रतिबिंबित होती है। लिंकन द्वारा
दिए गए कुछ व्याख्यानों को प्रतिमा के सामने वाली दीवार पर उत्कीर्ण किया गया है।
थॉमस जेफरसन अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थे। उनका स्मारक, लिंकन मेमोरियल और वाशिंगटन मेमोरियल से पूरी
तरह अलग है। यह संगमरमर से वर्तुलाकार बना हुआ है। मेमोरियल में इक्कीस खंभे हैं।
जेफर्सन की 19 फुट ऊंची प्रतिमा इसके अंदर
खड़ी है। जेफरसन के लेखन के कुछ अंश के साथ-साथ आजादी की घोषणा दीवार पर अंकित है।
ऐसा कहा जाता है कि वर्जीनिया विश्वविद्यालय की स्थापना करते समय जेफरसन को रोमन
देवता की वास्तुकला ने आकर्षित किया था।
अमेरिका 4 जुलाई, 1776 को स्वतंत्र हुआ। इस दिन स्वतंत्रता की घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए थे।
हमारे गाइड ने कहा कि दुनिया के किसी दूसरे देश ने इतनी धूमधाम के साथ शायद ही
स्वतंत्रता दिवस मनाया होगा ! मुझे अपने स्वतंत्रता दिवस पर नई दिल्ली में लाल किले के
सामने रोशनी से जगमगाते भवनों की याद आने लगी। मैंने अखबारों में पढ़ा है कि उनके स्वतंत्रता दिवस समारोह की 200 वीं वर्षगांठ
के अवसर पर 33 टन पटाखे छोड़े गए थे।
वाशिंगटन के केंद्रीय अंचल को नेशनल मॉल कहा जाता है। इस पर दो चौड़ी और समानांतर सड़कों को स्वतंत्रता राजपथ और
संविधान राजपथ के रूप में जाना जाता है। लिंकन मेमोरियल राष्ट्रीय मॉल की बाईं ओर
है और कैपिटल बिल्कुल उसके विपरीत दिशा में है। स्मिथसोनियन संग्रहालय नेशनल मॉल
के दोनों किनारों पर है। स्मिथसोनियन दुनिया की सबसे बड़ी संस्था है, जो सत्रह संग्रहालयों की देखरेख करती है।
मैंने अपनी पहली वाशिंगटन यात्रा के दौरान इनमें से कई को देखा था। स्मिथसोनियन के मुख्यालय का नाम है
स्मिथसोनियन कैसल। वास्तव में, यह मध्ययुगीन किले की तरह दिखता है।
स्मिथसोनियन केवल संग्रहालयों का
प्रबंधन ही नहीं करता है, बल्कि यह चित्रकला, वास्तुकला, पुराने दस्तावेजों, ऐतिहासिक वस्तुओं के संरक्षण के बारे में उन्नत अनुसंधान करता है। संविधान
राजपथ नेशनल मॉल के उत्तर में है और स्वाधीनता राजपथ दक्षिण में है। इन दो सड़कों
की तरह राष्ट्रीय मॉल के अंदर दो अन्य
समानांतर सड़कें हैं। जिन्हें जेफरसन ड्राइव और मैडिसन ड्राइव के नाम से जाना जाता
है। उनके ये नाम अमेरिका के दो पूर्व राष्ट्रपतियों के नाम पर रखे गए है।
स्मिथसोनियन द्वारा प्रबंधित प्रमुख संस्थानों में नेशनल आर्ट गैलरी शामिल है,जो पूर्वी अट्टालिका और पश्चिमी अट्टालिका में
विभाजित है। इसके द्वारा प्रबंधित अन्य संस्थानों में स्पेस म्यूजियम, शाक्लर और फ्रीर आर्ट
गैलरी, नेशनल पोर्ट्रेट गैलरी, अमेरिकन आर्ट म्यूजियम और अफ्रीकी
आर्ट म्यूजियम शामिल हैं। नेशनल गैलरी ऑफ आर्ट के पूर्वी भवन में ऑर्केस्ट्रा और
उच्च गुणवत्ता वाली कला फिल्मों का नियमित प्रदर्शन होता रहता है। स्मिथसोनियन और
उसकी सह-संस्था नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी कई विषयों पर फिल्में बनाती हैं, सेमिनार आयोजित करती हैं।स्मिथसोनियन का लाल
दुर्ग 1855 में स्थापित किया गया था। स्मिथसोनियन के सभी मुख्य कार्यालय और वुडरो
विल्सन के नाम पर इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्कॉलर इस दुर्ग में अवस्थित है।
स्मिथसोनियन द्वारा परिचालित सभी संग्रहालयों को देखना लगभग असंभव है। हमने नेशनल
आर्ट गैलरी और पास में हिर्शहॉर्न संग्रहालय के प्रतिमा कला उद्यान में कुछ समय
बिताया। इसके बाद हमने फ़्रीर आर्ट गैलरी देखी। दक्षिण पूर्व एशिया (भारत सहित) और
पूरे पूर्वी गोलार्ध से सबसे अधिक चित्रकला
यहां संग्रहीत हैं।
पोटोमैक नदी लगभग पूरी तरह से बर्फ बन गई थी। यह बहुत बड़ी नदी नहीं है।
इसकी लंबाई 285 मील है, मैरीलैंड से लेकर चेसपीक खाड़ी तक। नदी के किनारे घूमते समय मुझे कुछ नौकाएँ
नजर आई । गाइड ने बताया कि वे पोटोमैक बोट क्लब द्वारा आयोजित वार्षिक बोट रेस
प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए अभ्यास कर रही हैं। लिंकन मेमोरियल के सामने
खड़े होकर देखने पर वॉशिंगटन स्मारक और कैपिटल एक सीधी रेखा में दिखाई देते हैं।
लिंकन मेमोरियल के सामने छोटी झील में वाशिंगटन स्मारक का प्रतिबिंब नजर आता
है। इस झील को 'रिफ़्लेक्टिंग पूल' के नाम से जाना जाता है। लिंकन की प्रतिमा, पुस्तकों में पढ़ा उनका चरित्र और अमेरिकी स्वतंत्रता के प्रति उनकी
प्रतिबद्धता वहाँ प्रतिफलित हो रही है। मेरा मानना है कि वाशिंगटन में देखी जाने
वाली सभी प्रतिमाओं में सबसे विशाल एवं खूबसूरत है। वाशिंगटन स्मारक 555 फुट ऊंचे
संगमरमर का बना हुआ है, यह चतुष्कोण वाला विशिष्ट ओबिलिस्क टॉवर है। यह स्मारक अपनी दक्षता, शक्ति और सौंदर्यबोध का
परिचायक है। वाशिंगटन स्काईलाइन में यह हर जगह दिखाई देता है। वॉशिंगटन सिम्फनी
ऑर्केस्ट्रा हर साल स्मारक के सामने खुले आसमान के नीचे कॉन्सर्ट आयोजित करता है।
लगभग चार हजार संगीत प्रेमी वहाँ आनंद
लेने के लिए इकट्ठा होते हैं।
वॉशिंगटन नेशनल कैथेड्रल की ऊंचाई 676 फीट है। यह वॉशिंगटन स्मारक की तुलना में ऊंचा है। इसकी नींव सन 1907 में रखी
गई थी और 1990 में अर्थात् तिरासी साल बाद
अंतिम पत्थर रखा गया था। थियोडोर रूजवेल्ट से लेकर बाकी सभी अमेरिकी राष्ट्रपति
प्रतिवर्ष एक या अधिक बार कैथेड्रल में आये थे। वियतनाम, कोरियाई और अन्य
युद्धों में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले अमेरिकी सैनिकों की दिवंगत आत्माओं को
यहाँ सम्मानपूर्वक श्रद्धांजलि दी जाती है। अमेरिका के राष्ट्रपति इस समारोह में भाग लेते हैं।
शहर के बाहरी इलाके में चेसपीक और ओहियो के नहर हैं। जिसका उद्देश्य ओहियो
नदी को जलमार्ग से जोड़ना था, क्योंकि उन्नीसवीं शताब्दी में पोटोमैक नदी को गहरा कर जल-यातायात बढ़ाने के लिए
इसे तैयार करना संभव नहीं था। उन्नीसवीं शताब्दी में कैनाल की लंबाई 4000 मील थी।
छोटे-छोटे यंत्रचालित नाव लोगों और सामान को लाने-लेजाने का काम कर रहे थे। सन 1889
और 1924 की बाढ़ के बाद नहर के कई भाग अनुपयोगी हो गए थे। वाशिंगटन के बाहरी इलाके
में स्थित इस नहर के किनारे हार्वर्ड में रहते
समय और परवर्ती काल में, मैं अक्सर इस नहर पर घूमता था।
हमारी होटल ‘डुपोंट सर्कल’ के उत्तर-पश्चिम में मैसाचुसेट्स एवेन्यू है, जिसका लोकप्रिय नाम दूतावास पंक्ति है। बेलारूस और केमरून से लेकर नेपाल और
स्लोवेनिया तक के लगभग 70 से 75 दूतावास इस पंक्ति पर स्थित हैं।
एयर एंड स्पेस म्यूजियम देखने के लिए हमें समय नहीं मिला।अवश्य, मैं पहले देख चुका था। अंतरिक्ष
में अमेरिका की दीर्घ-यात्रा इस संग्रहालय में प्रदर्शित की गई है। राइट ब्रदर्स
से लेकर अपोलो यान और अंतरिक्ष में उनके विभिन्न अभियानों का सुंदर ढंग से
प्रदर्शन किया गया है। अंतरिक्ष यानों के विशाल मॉडल दर्शकों को बहुत आकर्षित करते
हैं।इसके अतिरिक्त, म्यूजियम के अंदर इमिक्स थिएटर में अंतरिक्ष यात्रा से संबंधित फिल्मों को
भी देखने की व्यवस्था है।
जुड़वां शहर : मिनियापोलिस-सेंट पॉल
हमने वॉशिंगटन से मिनेयापोलिस-सेंट पॉल जाने के लिए एक फ्लाइट पकड़ी। हमारे
यहाँ रहने के लिए दो दिन निर्धारित किए गए थे। हम दोपहर में वहाँ पहुंच गए थे। जुड़वां
शहरों की जानकारी हेतु थोड़ी देर के लिए मिसिसिपी के तट पर चले गए। यह जुड़वां शहर
मिसिसिपी के दो किनारों पर स्थित हैं।
उन्नीसवीं शताब्दी के आखिरी और बीसवीं शताब्दी की प्रारम्भिक चरण में ये शहर वाणिज्य और कृषि आधारित उद्योगों के
लिए जाने जाते थे। यह चमक समय के साथ फीकी पड़ती गई। हवाई जहाज से उतरने पर किसी को
यह आसानी से पता नहीं चलता है कि ये दोनों शहर एक-दूसरे से अलग हैं। यह एक विशाल
और विस्तारित शहर जैसा लग रहा था, जिसमें बड़ी संख्या में घर, गगनचुंबी इमारतें, छोटी-बड़ी झीलें और उससे
भी बढ़कर सर्पिल गति से बहने वाली मिसिसिपी नदी शामिल थी।
अगले दिन सुबह-सुबह हम हुबर्ट हैम्फ्रे इन्स्टिट्यूट ऑफ पब्लिक अफेयर्स
में गए। यह संस्थान मिनेसोटा विश्वविद्यालय द्वारा संचालित है और अमेरिका के
शिक्षा और सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र में प्रसिद्ध है। अमेरिका में बाहर से आने
वाले स्कॉलरों को इस संस्थान में अनुसंधान करने के लिए चुना जाता है। इंस्टीट्यूट
के एसोसिएट डीन डॉ॰ रॉयस हंससन ने हमें इस संस्थान के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। संस्थान के प्रमुख
पाठ्यक्रमों में से एक 'उत्तर दक्षिण फैलोशिप कार्यक्रम' है,जो अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के सहयोग से आयोजित किया जाता है।
हंससन ने कहा कि संस्थान का एक और बड़ा कार्यक्रम 'चिंतनशील नेतृत्व के लिए शिक्षा' है।इन दोनों पाठ्यक्रमों का उद्देश्य परिवर्तनकारी
नेतृत्व है अर्थात् ऐसे नेतृत्व को सामने
लाना हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में आवश्यक बदलाव लाया जा सके । इन
कार्यक्रमों में भाग लेने वाले अधिकारियों को पहले अपने स्वयं के क्षेत्रों में
किए गए कार्य का संक्षिप्त विश्लेषण तैयार करने और फिर उनमें बेहतर प्रदर्शन के
लिए परिवर्तन के सूत्र खोजने के लिए कहा जाता है।परमाणु नीति, कानून का सामाजिक पक्ष, आम आदमी के लिए कानूनी
सहायता का प्रावधान, आम आदमी के लाभदायक रोजगार आदि
विषयों पर सेमिनार और पाठ्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। नेतृत्व के संबंध में हंससन
ने कहा कि संस्थान का आदर्श सीनेटर हुबर्ट हम्फ्री के निम्न शब्द है :"
सार्वजनिक जीवन में जैसे-जैसे आपकी क्षमता, शक्ति और दायित्व में बढ़ोतरी होती हैं, वैसे-वैसे अधिकारी के
लिए एक-एक प्रश्न के अति सूक्ष्मतम दिग का विश्लेषण करना बड़ी
बात नहीं है, लेकिन बड़ी बात है विभिन्न समस्याओं और मुद्दों को एकीभूत कर बड़ी समस्या को
सुलझाने तथा नीति को स्थिर करने की। यही तो नेतृत्व है। "
हम्फ्री का बेटा उनके प्रदेश का अटार्नी जनरल था। वे सीनेट के लिए उस वर्ष
चुनाव लड़ रहे थे। हमें संस्थान से उनके कार्यालय में ले जाया गया। उन्होंने हमें
उनके दृष्टिकोण और सीनेट चुनावों के बारे में जानकारी दी। वे डेमोक्रेटिक पार्टी के थे। जब हम हम्फ्री के
बेटे के कार्यालय से वापस लौट रहे थे, उस समय काफी हिमपात शुरू हो गया था।
वातानुकूलित कारों में हमें ठंड महसूस नहीं हो रही थी। हम वहां से ट्रेड सेंटर गए।
वहाँ पंद्रहवीं मंजिल पर ट्रेड सेंटर के निदेशक ने हमें दोनों शहरों के बाहरी
व्यापार और औद्योगिकीकरण के बारे में समझाया। दोनों शहर मिलकर जिस तरह से व्यापार करते
थे, वह काफी शिक्षाप्रद था। सम्मेलन कक्ष से सटे
उनके डाइनिंग हाल में हमारे दोपहर के भोजन की व्यवस्था की गई थी। उस ऊंचाई से
दोनों शहर, मिसिसिपी नदी और गिरती हुई बर्फ बहुत सुंदर दिखाई दे रही थी। ट्रेड सेंटर में
हमें दिया गया भोजन चाइनीज था। मुझे चाइनीज खाना पसंद है। हार्वर्ड में रहने के दौरान चाइनीज और मैक्सिकन भोजन के
प्रति मेरा आकर्षण और बढ़ गया था।
दोपहर के भोजन के बाद कुछ समय के लिए मिनेयापोलिस सिटी और उसके डाउनटाउन
क्षेत्र में घूमने के बाद हमें सीनेट के चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार के ऑफिस
में ले जाया गया। मिनियापोलिस और सेंट पॉल शहर नदी के दोनों किनारों पर हैं, फिर भी उनके बीच दूरी करीब पांच से छह ह किलोमीटर है। होटल में कॉफी नहीं पीने तक बर्फ का
मनोवैज्ञानिक प्रभाव हमारे दिमाग पर छाया रहा। एल्मर फ्रिकमैन ने मुझे फोन किया और
5.30 बजे पहुंचे। वह हनीवेल कंपनी के एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी थे, उनकी उम्र 75 थी। वे सपत्नीक कई बार भारत आए थे।
वे मुझे अपने घर ले जाना चाहते थे। जब वे मेरे कमरे में आए, तब मैं अपने जापानी मित्र सोतेरे के साथ कॉफी
पी रहा था। हम दोनों निमंत्रण पर उनके घर गए,जो लगभग पांच मील दूर था। उन्होंने अपने बेटे और बेटी से हमारा परिचय करवाया और फिर
हमें करीब 20 किलोमीटर दूर चन्नहासन शहर के बाहरी इलाके में बने अपने बेटे और बहू के घर
ले गए। शहर के इस बाहरी क्षेत्र में एक सुंदर झील थी।फ्रिकमैन ने कहा, "आप विभिन्न
देशों से आए हैं, क्या आपको फिर कभी हमारे शहर में आने का मौका मिल सकता है ? इसके अलावा, डॉ॰ महापात्र भारत के हैं।
यह वह देश है, जिसे मैं अपने देश की तरह प्रेम करता हूं। इससे बढ़कर, मेरी बहू जापानी है और
वह आपको जापानी-अमेरिकी डिनर खिलाना चाहती है।" हमने उनका अनुरोध स्वीकार किया। रास्ते भर सुहावने दृश्य दिखाई दे रहे थे, भोजन भी बहुत अच्छा लगा। हमारे लिए दो प्रकार के जापानी सूप तैयार किए गए
थे। अमेरिकन चिकन और रसियन सलाद परोसा गया। एल्मर मुंबई, ताज होटल, आगरा, जयपुर और दिल्ली की याद
दिलाते हुए वह कहने लगे, "लेकिन मैं ओड़िशा में नहीं जा सका।" मैंने उनसे अगली भारत की यात्रा में ओड़िशा आने के लिए अनुरोध किया। मुझे
उनका कुत्ता बहुत पसंद आया। उसकी एक आँख दुर्घटना में चली गई थी। दूसरी आंख को ऑपरेशन
कर बड़ी कठिनाई से बचाया गया था। फिर भी आंख की रोशनी कम थी। एल्मर ने अपनी कार से
हमें होटल में रात को 11.30 बजे छोड़ दिया।
स्थानीय गाइड ने हमें शहरों के विभिन्न स्थानों के दर्शन करवाए। वह हमें
अमेरिकन इंडियन रिज़र्वेशन में ले गए। यह कहना उचित होगा कि हमारे देश के आदिवासी
लोग धीरे-धीरे मैदानी इलाकों से पहाड़ियों और घाटियों में निर्वासित हो गए हैं,लेकिन वे अभी भी अपनी पैतृक भूमि में रह रहे
हैं। अमेरिकन इंडियन की स्थिति कुछ अलग है। उनमें से कुछ उच्च शिक्षा प्राप्त कर अमेरिकी
जन-जीवन का हिस्सा बन गए है। दूसरों को निश्चित पूर्व निर्धारित क्षेत्रों में रखा
गया है जिन्हें 'रिज़र्वेशन' कहा जाता है। इसका अर्थ यह है कि वे निर्दिष्ट क्षेत्र उनके लिए आरक्षित
हैं। हमने ऐसे एक 'रिज़र्वेशन ' का दौरा किया।उसके बाद हमें दूसरे स्थान पर ले जाया गया। वहां ज्यादातर लोग
वियतनामी थे। उसके बाद हमने 57 मंजिला इन्वेस्टर डायवर्सिफाइड सर्युज़ टॉवर
(आईडीएस), सेंट पॉल कैथेड्रल, मिनेसोटा आर्केस्ट्रा हॉल, सेंट पॉल के चैंबर ऑर्केस्ट्रा हॉल, मिनेसोटा कला संग्रहालय, मिनेसोटा झील और पास के पार्क और मिनेसोटा फोर्ट स्नैलिफ़ देखे। सब-कुछ देखने
के लिए हमारे पास पर्याप्त समय नहीं था। गाइड ने अपने माइक पर हमें वातानुकूलित बस
के भीतर विभिन्न जगहों और संस्थानों के बारे में जानकारी दी कि हम मिनेसोटा कला
संग्रहालय, आईडीएस टॉवर और सेंट पॉल कैथेड्रल में अपेक्षाकृत अधिक समय व्यतीत कर सकते
हैं।
इस तरह दोनों शहर और आस-पास के कुछ क्षेत्रों में घूमने के बाद हम मिसिसिपी
नदी के किनारे से होते हुए अपनी होटल में चले गए। उस समय मिसिसिपी नदी पूरी तरह से बर्फ से ढक चुकी थी। होटल
में आने के बाद निकटवर्ती गुथरी थिएटर में शेक्सपियर के नाटक 'रिचर्ड थ्री' देखने गए। गाइड हमारे साथ था। मैंने इस नाटक को बहुत पहले पढ़ा था। शो देखने
लायक था, मगर प्रस्तुति कुछ हद तक नाटकीय थी। उसके बाद सभी ने एक साथ होटल के
डाइनिंग हॉल में डिनर लिया। हमारे दोस्त निकोलस चैपीवी, जोहान वेटजेल और सर मोबर्ली ने फ्रांसीसी, जर्मन और ब्रिटिश शराब डाइनिंग टेबल पर रखी।
मिन्नियापोलिस और सेंट पॉल बिल्कुल जुड़वां भाइयों की तरह हैं। उनकी स्थापना लगभग एक ही समय पर हुई
थी।दोनों एक ही गति से फैलते गए थे। दोनों ने अमेरिकी इतिहास में कई बदलाव देखे
हैं; दोनों जुड़वां भाइयों की तरह बड़े हुए हैं। वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं।सब
ठीक हैं, लेकिन वे कभी-कभी एक-दूसरे से ईर्ष्या करते
हुए भी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को जन्म देते हैं। इस प्रकार वे एक-दूसरे के स्नेही प्रतिद्वंद्वी हैं।
इस जुड़वां शहर ने मुझे भारत के हैदराबाद-सिकंदराबाद की याद दिलाई, डेन्यूब नदी के दोनों किनारों पर ‘बुडा’ और ‘पेस्ट’ नामक ऐतिहासिक शहरों की भी याद दिलाई, जो बाद में एक होकर हंगरी की राजधानी ‘बुडापेस्ट’ बन गई। फिर याद आया ओटावा और हॉल। ये दोनों भी
ओटावा नदी के दोनों किनारों पर स्थित हैं। सशस्त्र बलों की एक चौकी सन 1820 में
लगभग 50 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई थी। दुर्ग आकार की यह जगह मिसिसिपी और पश्चिम से
बहकर आने वाली मिनेसोटा नदियों के संगम-स्थल पर स्थित थी। लगभग 30 साल तक पत्थर
निर्मित यह किला लकड़ी के व्यापारियों और अन्य कारोबारियों का केंद्र-स्थल बना रहा।
कनाड़ा की सीमा से आने वाले फ्रांसीसी अमेरिकियों के हितों और व्यवसायों को बाधित
करते थे, मिसिसिपी और यह दुर्ग सुरक्षा प्रहरी का काम
करता था। हमने देखा कि इस पुराने दुर्ग को अपनी मूल अवस्था में लाने के प्रयास किए
जा रहे थे। दुर्ग के गाइड उन्नीसवीं शताब्दी की पोशाकें पहने हुए थे। स्टीफबोट्स पहली बार 1823 में इस
किले के पास आये और नदी के तट पर धीरे-धीरे एक छोटा-सा शहर बन गया। जिसका नाम था
सेंट एंथोनी। मिनेयापोलिस और सेंट एंथोनी
को 1853 में विलय कर दिया गया था, जिससे वर्तमान मिनेयापोलिस वृहत्तर
हो गया। नाम मिनियापोलिस कुछ अजीब लग रहा था। गाइड ने बताया कि एक अख़बार ने
शहर के नामकरण हेतु एक प्रतियोगिता आयोजित की थी। एक स्कूल शिक्षक ने मिनियापोलिस
नाम का चयन किया था और इसे स्वीकार किया गया था। मिनियापोलिस दो शब्दों का समाहार है, अर्थात् मिनिआ और पोलीस।पहला शब्द अमेरिकन-इंडियन ग्रुप सिओक्स से आया है। सिओक्स भाषा में, मिनिआ का अर्थ है जल।
दूसरा शब्द ग्रीक है, जिसका अर्थ है शहर। इस प्रकार शहर को
अमेरिकन-इंडियन और ग्रीक भाषा के संयोजन से नामित किया गया है। जिसका अर्थ है 'वाटर सिटी' । यह नाम उचित है, क्योंकि मिसिसिपी और उसकी सहायक नदी के अलावा
मिनियापोलिस में छोटी-बड़ी तेइस झीलें हैं।
सन 1839 में शेलिंग दुर्ग से एक तड़ीपार फ्रांसीसी शराब व्यापारी के उपनाम पर
दूसरे शहर का नाम 'पिग आई (सूअर की आंख)' रखा गया था । मिसिसिपी के घाट की वजह से यह शहर लकड़ी के व्यवसाय के लिए
अनुकूल था।धीरे-धीरे व्यापार और वाणिज्य आगे बढ़ना शुरू हुआ। सन 1839 में शहर का
नाम बदलकर 'सेंटपॉल’ रख दिया गया था। हमारे गाइड की भाषा में, "हमने एक पापी का नाम हटाकर संत का नाम रखा, और 'पिग आई’ ‘सेंटपॉल’ बन गया।” भले ही, शहर का नाम बदलकर सेंटपॉल रख दिया गया था, लेकिन शताब्दी के तीसरे दशक में यह शहर बहुत ज्यादा बदनाम हो गया था।क्योंकि
एल्विन कैरिस और उनके दल के माफिया इस जगह पर बहुत शक्तिशाली हो गए और लूटपाट, आगजनी, हत्या सहित सभी तरह के अवैध गतिविधियों में
शामिल हो गए। एल्विन कैपर्स को 'जनता का एक नंबर शत्रु' कहा जाता था इसलिए इस शहर का दूसरा नाम 'क्रूकज़ हेवेन' रखा गया। यह कहा गया है, " हर अपराधी ने सेंट पॉल को अपना घर बनाया। यदि
आप किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में है, जिसे आपने कुछ महीनों तक नहीं देखा हो तो आम तौर पर यह सोचा जाता था कि वह जेल में या सेंटपॉल में होना चाहिए।” फिलहाल सेंट पॉल इस
बदनामी से उबर चुका है। अब यह शहर और उसका जुड़वां भाई मिनियापोलिस बहुत ही
सुरक्षित और स्वस्थ शहरों में गिना जाता है। मिनियापोलिस मिनेसोटा राज्य की
राजधानी है,जिसका क्षेत्र लगभग सेंट पॉल के बराबर है, मगर इसकी जनसंख्या अधिक है। सेंटपॉल की आबादी लगभग 3 लाख लोगों की है, जबकि मिनियापोलिस में
चार लाख लोग हैं। दोनों शहरों की स्काई-लाइन अलग-अलग हैं। मिनियापोलिस को 57
मंजिला, आई॰डी॰एस॰ टावर द्वारा जाना जाता है। प्रसिद्ध वास्तुकार फिलिप जॉनसन
द्वारा डिजाइन की गई यह विशाल इमारत अपने नीले रंग के काँच के कारण अद्भूत विस्मयकारी है। इमारत का बाहरी भाग नीले काँच से
आच्छादित है। दूर से ऐसा लगता है मानो पूरे आकाश के बादल गगनचुंबी इमारत में
परिलक्षित हो रहे हों। यहाँ थोड़ी देर रुकने के बाद हम मिनियापोलिस इंस्टीट्यूट ऑफ़ आर्ट में चले गए। यह
अमेरिका के प्रसिद्ध कला संग्रहालयों में से एक है। यहाँ विभिन्न शैलियों और विभिन्न
काल के करीब 65,000 कला-वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है। डच चित्रकार रेंब्रेंड के कुछ अमूल्य
चित्र(जैसे लुक्रेटिया) भी यहां प्रदर्शित
किए गए हैं। मिनियापोलिस के
प्रसिद्ध टेम्पलमेन टी सर्विस इस संग्रहालय के पास है। गाइड ने हमें यहाँ चाय
पिलाते हुए कहा, “यह अमेरिका का एक ऐतिहासिक स्थान है।
संग्रहालय के एक तरफ अमेरिका के दो प्रसिद्ध थिएटर है। एक गुथरी है (जहां हमने 'रिचर्ड III' नाटक देखा था) और दूसरा
बच्चों का थिएटर है।” हमने थोड़ी देर बाद मिनियापोलिस की 23 झीलों में
से एक बड़ी झील देखी। हमने शहर के 153 पार्कों में से एक अच्छे पार्क में भी गए।
अमेरिकन रॉकस्टार प्रिंस का जन्म मिनियापोलिस में हुआ था।
मिनियापोलिस देखने के बाद हम सेंटपॉल गए। सेंटपॉल एफ॰ स्कॉट फिजराल्ड़, उपन्यासकार का जन्म
स्थान है। जिस तरह से मिनेसोटा आईडीएस टॉवर द्वारा जाना जाता है, उसी तरह सेंटपॉल स्टेट कैपिटल और सेंटपॉल
कैथेड्रल के द्वारा जाना जाता है। कैपिटल का गुंबद संगमरमर से बना है। दुनिया में ऐसा कोई गुंबद नहीं है जो
किसी स्तंभ पर खड़ा हो। हम सेंटपॉल कैथेड्रल के चारों ओर घूमे। यह बेहद खूबसूरत
हैं। यह रोम के सेंट पीटर कैथेड्रल शैली में तैयार किया गया है। इसके बाद हमने
सेंटपॉल का चेंबर ऑर्केस्ट्रा देखा। ऑर्केस्ट्रा दो चीजों के लिए प्रसिद्ध है।
सबसे पहले, प्रसिद्ध वायलिन वादक कंडक्टर ज़ुरमन इसके
प्रमुख है।दूसरा, यह अमेरिका में एकमात्र पूर्णकालिक पेशेवर चेम्बर है। यह आर्केस्ट्रा
मिनियापोलिस के 'मिनेसोटा आर्केस्ट्रा' के भाई की तरह है।
शीत ऋतु दोनों शहरों का आम दुश्मन है। जनवरी और फरवरी में औसत तापमान शून्य
से 15 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है। एक वर्ष में लगभग चार फीट बर्फ औसतन
गिरता है। मिसिसिपी, उसकी सहायक नदी और सभी झीलें बर्फ से ढक जाती हैं। लोग ऐसे समय में आइस
स्केटिंग और अन्य बर्फ के खेल खेलना पसंद करते हैं। कंपकंपाती सर्दी के बावजूद
स्कीइंग और स्केटिंग बहुत प्रसिद्ध हैं। सेंटपॉल में दस दिवसीय शीतकालीन आनंदोत्सव आयोजित होता है, बर्फ पर परेड की जाती
हैं, बर्फ पर गोल्फ़ खेला जाता है,स्नो मोबाइल रेस आयोजित की जाती है।
नदियों, झीलों, पार्क, साइकिल भरे रास्ते, शीतकालीन खेलों के कारण यह शहर अमेरिका के सबसे खूबसूरत जुड़वा शहरों में
अन्यतम और स्वास्थ्यप्रद माना जाता है। मिनियापोलिस के आईडीएस टॉवर की तरह सेंटपॉल
को अपने 40 मंजिले ट्रेड सेंटर पर गर्व है। यहाँ अपराध की दर बहुत कम है। हनीवेल
कंपनी, स्कॉच टेप निर्माता और कंट्रोल डेटा कॉरपोरेशन (विश्व का सबसे बड़ा कंप्यूटर
निर्माता) इस शहर में स्थित हैं।
मिनियापोलिस-सेंटपॉल की द्वैतनगरी ने मुझे डेन्यूब नदी के दोनों तटों पर
स्थित सुंदर और प्राचीन जुड़वां शहर- बुडा और पेस्ट की याद दिला दी, जिसे बुडापेस्ट कहते है और जो यूरोप के सबसे
सुंदर शहरों में से एक है। मिनियापोलिस और सेंटपॉल दोनों शहर मिसिसिपी पर पुल 'फ्री वे' से जुडते हैं। यह जगह हमेशा यातायात से भरी रहती है। इस पुल का निर्माण 1967
में हुआ था, मतलब सन 1987 में मेरी यात्रा के समय इसकी उम्र बीस साल थी। अपने
पाठ्यक्रम-कार्यकाल के दौरान कम से कम पांच से छः बार इस पुल से हम गुजरे होंगे।
सन 2007 में मैंने टेलीविजन और समाचार पत्रों में देखा कि यह पुल अचानक गिरकर
मिसिसिपी नदी के गर्भ में समा गया। वह भी भरपूर यातायात के समय। अनेक कारें,कंक्रीट और बसें नदी में गिर गईं। तुरंत रेसक्यू के कारण बहुत
से लोग बच गए। फिर भी लगभग पन्द्रह-बीस लोग मारे गए या निखोज हो गए।
पुल टूटने से नीचे से गुजर रही मालगाड़ी के दो हिस्से हो गए। कुछ डिब्बे नदी में गिर गए। मुझे कुछ राहत
मिली कि वह मालगाड़ी थी, अन्यथा कितने निर्दोष लोगों की मृत्यु हो गई होती! मैंने टीवी
पर बहुत अजीब तस्वीर देखी। एक स्कूल बस
आधे टूटे स्लैब पर फंसी हुई, इससे पहले कि पुल गिरता, बस निकल गई। स्कूल-बस के बच्चे बाल-बाल बचे।
मन में यह बात आई, क्या
होता अगर पुल हमारे पार करते समय टूट गया होता!! टेलीविजन और अखबारों में छह
पा होता कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विभिन्न
देशों के शिक्षार्थियों का दुर्घटना में निधन हो गया। मिसिसिपी और कैटरीना ने न्यू
ऑरलियन्स में मृत्यु की कराल छाया फैला दी थी। यद्यपि मिनेयापोलिस-सेंटपाल में
मृत्यु दर कम थी,फिर भी मुझे इस
दुर्भाग्यपूर्ण घटना की याद ने आंदोलित कर दिया।
संक्षेप में, मुझे जुड़वां शहर बहुत अच्छे लगे। हमारे पाठ्यक्रम के दो अमेरिकी मित्र
जुड़वां शहर को बहुत सम्मान की दृष्टि से देखते है, उन्होंने हमें यह बताया। सेंटपॉल में हमारा ठहरने का समय समाप्त
हो गया। फिर हमने न्यू ऑरलियन्स की ओर
उड़ान भरी- जहां उत्तर में भयंकर हिमपात था तो दक्षिण में सूर्यस्नात अंचल ।
न्यू ऑरलियन्स-मिसिसिपी तट पर अमेरिका का एक 'अलग' शहर
न्यू ऑरलियन्स अमेरिका का सबसे जीवंत शहर है। यह अमेरिका का एक और महानगरीय
केंद्र है, जहां अमेरिकी-फ्रेंच और क्रेओल फ्रेंच संस्कृतियों का समावेश है। जब हैती
में क्रांति हुई,तब क्रेओल-फ्रेंच न्यू ऑरलियन्स में भाग आए। न्यू ऑरलियन्स विभिन्न
संस्कृतियों, रीति-रिवाजों, जीवन-शैलियों, विविध खाद्य-पदार्थों, वेशभूषाओं का एक अद्भूत सम्मिश्रण
हैं। अमेरिका के दक्षिण का एक प्रमुख बंदरगाह है यह। दास व्यापार का यह मुख्य
केंद्र था।इसलिए अमेरिका के अधिकांश काले
लोग इस शहर में रहते हैं। फ्रेंच और क्रेओल परंपरा के प्रभाव के कारण न्यू
ऑरलियन्स का भोजन अपनी एक अलग पहचान रखता है। ऐसा भोजन अमेरिका में और कहीं नहीं
मिल सकता है। खाने में मिर्च-मसालों का अधिक प्रयोग होने से मुझे भारतीय भोजन की
तरह लग रहा था ।
भोजन की इस विशेषता के अलावा, न्यू ऑरलियन्स में संगीत की अपनी अलग परंपरा है, जिसे शहर की आत्मा कह सकते हैं। यहाँ के जाज ब्रास बैंड और जाम बैंड अमेरिका की सबसे समृद्ध परंपरा है। यह
सुनकर आश्चर्य हुआ कि इस शहर में पचपन जाज क्लब हैं, जो पुरी के साही यात्रा की तरह बहुधा सड़कों पर परेड करते रहते हैं। जाज
संगीत के लिए बड़े-बड़े संगीत हॉल हैं, जो हमेशा दर्शकों से भरे होते हैं। इनमें से अधिकांश जाज क्लब
अंतरराष्ट्रीय स्तर का जाज-संगीत प्रस्तुत करते हैं। बड़े ऑडिटोरियमों में जाज
सुनने का हमें अवसर मिला था। इसके अलावा, छोटे जाज दलों को सड़क किनारे पर अपने बैंड के साथ परेड करते हुए अनेक बार देखा
था। मुझे न्यू ऑरलियन्स की तीन चीजें याद
हैं। वे हैं भोजन की विशेषता, जाज-संगीत के प्रति निवासियों का
प्रगाढ़ प्रेम और आम लोगों का खुशहाल स्वभाव। ऐसा लगता है आराम से खाना-पीना, बैंड बजाना, गाने सुनना और विभिन्न
त्योहारों के सामूहिक जश्न मनाना इस शहर की सबसे बड़ी खासियत है।
अमेरिका में गृहयुद्ध के समय यूनियन के सैनिकों ने बिना किसी प्रतिरोध के न्यू ऑरलियन्स पर कब्जा
कर लिया था। इसलिए अमेरिका के दक्षिण अंचल के अन्य शहरों की तरह यहाँ बहुत ध्वंस या नुकसान नहीं हुआ था। उन्नीसवीं
सदी की अट्टालिकाएँ, लोहे की संरचनाएँ, भास्कर्य और स्थापत्य अभी भी अक्षुण्ण हैं। एक इतिहासकार की राय में, न्यू ऑरलियन्स अमेरिका
का 'फ्रांसीसी शहर' है।
मैंने सुना था, न्यू ऑरलियन्स का सबसे बड़ा त्योहार मार्डी
ग्रास हर साल मनाया
जाता है। यह अमेरिका के सारे मनोरंजनों में सबसे शानदार और जीवंत वार्षिक उत्सव
है। यह उत्सव सन 1700 से मनाया जा रहा है। उत्सव का दिन हर साल तय किया जाता है, मगर यह प्राय: फरवरी में मंगलवार को आता है। 'मार्डी ग्रास ' का शाब्दिक अर्थ 'पेटू मंगलवार' है। हम दिसंबर में न्यू ऑरलियन्स आए थे। किसी मित्र ने कहा, "यदि
विश्वविद्यालय आपको मार्डी ग्रास त्योहार के समय न्यू ऑरलियन्स भेजता तो आप 21 फरवरी को अपनी आंखों
से इस उत्सव को देख पाते और आप शहरवासियों की खुशी में सरीक हो पाते।"
मैंने किताबों में पढ़ा था कि पूरा शहर घर से बाहर निकलकर सड़कों पर
शोभायात्रा में शामिल होता है। यह कुछ हद तक गोवा के कार्निवल जैसा है। लेकिन उससे बहुत
अधिक जीवंत है,मानो उल्लास की पराकाष्ठा हो। लोग अजीबो-गरीब वेशभूषा पहने, गले में तरह-तरह मोतियों की माला डाले, नाना प्रकार के मुखौटे पहने और तरह-तरह के वाहनों
पर आरूढ़ होकर रास्तों पर पैरेड निकालते हैं। 'मार्डी ग्रास ' के लिए केवल एक
मंगलवार निर्धारित होता है, लेकिन मैंने सुना है एक हफ्ते पहले और एक हफ्ते बाद तक यह उत्साह बना रहता
है। इस समय सब काम छोड़कर लोग खाने-पीने, गाने और बंधु-मिलन में व्यस्त रहते हैं। मैंने न्यू ऑरलियन्स में अपने प्रवास का खूब आनंद
उठाया। अपने जीवन मैंने जितने भी शहर देखे
है, उनमें न्यू ऑरलियन्स सर्वाधिक प्राणवन्त और असीम जीवन-शक्ति से भरा हुआ मुझे
लगा।
मिसिसिपी नदी, काजुन और जाज
न्यू ऑरलियन्स लुसियाना राज्य की राजधानी है। अमेरिका की सबसे बड़ी नदी
मिसिसिपी नदी के डेल्टा, जो पहले मेक्सिको की खाड़ी में आता था, पर यह विशाल शहर स्थित है।शहर की प्रसिद्ध बोर्नबॉन स्ट्रीट की एक होटल में
हम तीन दिन रहे।
न्यू ऑरलियन्स अमेरिका के अन्य शहरों से अलग है। इसकी विशिष्ट सुविधाओं को
आसानी से देखा जा सकता है। मिसिसिपी नदी के किनारे, नदी में पुराने स्टीमर, रोशनी की विशेष सजावट, सड़कों के दोनों किनारों पर सुंदर फूलों के
पौधों, प्राचीन शैली के पारंपरिक घर, बालकनी में फूलों के छोटे गमले और सुंदर
छोटे-छोटे छेद वाली लोहे की ग्रिल्स-सभी इस शहर को शोभायमान बना रही थी। फ्रेंच
भाषा-संस्कृति का इस शहर पर काफी प्रभाव है। सड़कों के नाम और सड़कों के किनारे
खाने की शैली (खाने-पीने के लिए सड़कों के किनारे पर कुर्सियों पर बैठे हुए) में ये प्रभाव
परिलक्षित होते हैं। मगर न्यू ऑरलियन्स का चिह्न आसानी से देखे जा सकते हैं। उनके काजुन पकाने की
शैली, प्रचुर समुद्री भोजन, तरह-तरह की मदिरा, क्रॉफिश की प्रबलता, मिश्रित भाषा, लोगों के सहज मनोभाव, अतिथि-वत्सलता, मद्य-प्रेम,खाद्य-प्रेम, संगीत- नृत्य प्रेम सभी अत्यंत
मनमोहक हैं। सड़क पर चलने वाले हर किसी को यह बात नजर आ जाती है।
लुसियाना अमेरिका में सबसे बड़ा
आर्द्रभूमि क्षेत्र हैं। फ्लोरिडा के प्रसिद्ध एवरग्लेड्स नेशनल पार्क से यह दो
गुना बड़ा है। मिसिसिपी नदी में बाढ़ के कारण यह संभव हुआ। मिसिसिपी अमेरिका के
समुद्रगामी जल का एक तिहाई हिस्सा वहन करती है और अपने साथ लाई उपजाऊ मिट्टी
से धीरे-धीरे समुद्र-तट पर भूमि का
निर्माण होता है। बनती है वेटलेंड अर्थात् आर्द्रभूमि अंचल। विस्तीर्ण उथली जलराशि (जिसे 'बायू' कहा जाता है) से पोंट्चर्टाइन झीलें और छोटे-छोटे द्वीप बनते हैं।बीसवीं सदी की शुरुआत
में इस समग्र अंचल का क्षेत्रफल छह ह हजार वर्ग मील था। न्यू ऑरलियन्स राज्य सरकार
के प्रमुख प्रतिनिधियों ने हमें लुसियाना की विपदाओं और भविष्य के संभावित खतरों
के बारे में सविस्तार जानकारी दी। उसके बाद उन्होंने हमें शक्तिचालित दो नौकाओं
में पोंटेचर्टन झील, 'बायू' अंचल, दलदल में लगभग तीन घंटे तक घुमाया ।
अधिकारियों ने कहा कि मिसिसिपी तट से लेकर टेक्सास राज्य तक आने वाले खाड़ी
इलाके को न्यू ऑरलियन्स भयानक तूफान से बचाता आया है, मगर धीरे-धीरे यह लुप्त होता जा रहा है। इस अंचल के दलदल, छोटे-छोटे द्वीप
हेरीकेन या आँधी-तूफान के प्रतिरोधक है। सन 1930 के बाद इन तटवर्ती इलाकों का लगभग 1900 वर्ग मील हिस्सा समुद्र में डूब गया।
यह क्षेत्रफल लक्ज़मबर्ग से दोगुना है और अमेरिका के छोटे राज्य डेलावेयर के बराबर
है। विगत दशक में 500 मिलियन डॉलर खर्च करने के बावजूद लुसियाना राज्य का 25 वर्ग
मील तटीय क्षेत्र हर साल समुद्र में डूबता जा रहा है। एक अधिकारी के शब्दों में:- "
प्रत्येक तैतीस मिनट में एक एकड़ की क्षति हो रही है।"
इसके लिए प्राकृतिक और मानव निर्मित कारण दोनों जिम्मेदार हैं। डेल्टा
क्षेत्र में समुद्र का तटीय इलाका समय के साथ डूबता जाता है, अगर नई उपजाऊ मिट्टी इस पर नहीं जमती हो तो
यह इलाका समुद्र में डूबना शुरू हो जाता है। बसंत ऋतु में मिसिसिपी की बाढ़ इस नुकसान की भरपाई करती
है। लेकिन सन 1927 की भयानक बाढ़ के बाद नदी के दोनों किनारों पर कंक्रीट बांध
बनाये गए। इसलिए मिसिसिपी की
उपजाऊ मिट्टी ‘फ़नल’ से सीधे गहरे समुद्र में चली जाती है। इसके अलावा, सन 1950 में पेट्रोलियम के कुएं खोले गए और इसमें जल-यातायात के लिए लगभग 8000 किलोमीटर
खोदा गया। इस वजह से आर्द्रभूमि खंड-विखंडित हो गई और एक जिगशा पहेली बनकर रह गई।
यह सच है कि यह क्षेत्र अमेरिका में सबसे अधिक पेट्रोलियम उत्पादन करता है, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस को पंपिंग कर जहाजों
में ढोकर ले जाने के लिए 24 बड़े चैनल खोले गए हैं। बांधों के निर्माण से वेटलैंड
का कुछ भाग औद्योगिक क्षेत्रों में परिवर्तित हो गया है। आर्थिक विकास सिक्के का
एक पहलू है, मगर वेटलैंड की क्षति केवल लुसियाना की क्षति नहीं है, वरन संपूर्ण अमेरिका की है। सभी पर्यावरणविद, वैज्ञानिक और विकास
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वेटलैंड का बहुत अधिक नुकसान खतरनाक हो सकता है।
पर्यावरणविदों और मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि बोर्नबोन स्ट्रीट की जिस होटल
में हम रुके हुए हैं, अगर वहाँ महाचक्रवात आ जाए तो लगभग अठारह फीट तक पानी भर सकता है। इसके
अलावा, लुसियाना का यह क्षेत्र मत्स्य-पालन का प्रमुख केंद्र है। जब हम नौका-विहार कर
रहे थे,एक मछुआरे ने अपनी नाव रोककर कहा,“मेरे दादाजी की मौसी का घर इस जगह पर था।
आजकल धीरे-धीरे यहाँ मछह लियों की तादाद कम होती जा रही है।” लगभग साढ़े दो
करोड़ विभिन्न प्रवासी पक्षी प्रतिदिन इस मौसम में लुसियाना वाटरलैंड में आते हैं।
इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के लगभग दस लाख मगरमच्छ हैं। गीत गाने वाली
चिड़ियाँ इस क्षेत्र की स्थायी प्रजाति हैं। इस परिवेश में धीरे-धीरे विलुप्त होती
जा रही हैं।
बातचीत के दौरान अधिकारियों ने
कहा, "इस तरह की हानि लुसियाना के पर्यावरण-प्रेमी नागरिकों के दिल में टीस
उत्पन्न करती है, यह प्रत्येक नागरिक के बटुए को भी चोट मारती
है।”
नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार, "यह उथले, दलदल और बैरियर द्वीपों वाली विस्तीर्ण जलराशि है,जिससे देश के तेल का एक
तिहाई और प्राकृतिक गैस का एक चौथाई से अधिक उत्पादन या परिवहन होता है और वाणिज्यिक मछह ली पकड़ने में अलास्का के बाद दूसरे स्थान पर है। वन्यजीव
के हिसाब से फ्लोरिडा के एवरग्लेड्स जैसा पालतू चिड़ियाघर की तरह दिखता है। ”
वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि सन 2050 तक 700 वर्ग किलोमीटर अतिरिक्त
क्षेत्रफल जलमग्न होने की संभावना है। बची हुई वेटलैंड को बचाने के लिए लुसियाना
सरकार ने 10 अरब डॉलर की योजना बनाई है। न्यू ऑरलियन्स सरकार के प्रमुख अधिकारी ने
हमें बताया कि उन्होंने फेडरल सरकार से उदार वित्तीय सहायता के लिए भी अनुरोध किया
है।
नौका विहार के बाद हमें न्यू
ऑरलियन्स के दक्षिण-पूर्व स्थित शैल बेकतो नामक छोटे-से गांव में ले जाया गया। कार
से जाने में लगभग आधा घंटा लगा। गांव के एक आदमी ने हमें बताया कि जब सन 1918 में
उसका जन्म हुआ था, तब उसका मूल गांव यहाँ से करीब आधा किलोमीटर
दूर था। आज वहाँ लगभग साढ़े तीन फुट गहरे पानी में लहरें पछाड़ मार रही है। नहरों के रास्ते आए समुद्र के नमकीन पानी से हजारों-हजारों
साइप्रस पेड़ नष्ट हो गए , आज केवल उनके वहाँ ठूंठ खड़े हैं।
न्यू ऑरलियन्स यूनिवर्सिटी के भूविज्ञान के प्रोफेसर डेनिस रीड का मानना
है कि मिसिसिपी के कंक्रीट-लाइन वाले बांध से कुछ फाटक
खोलकर अगर नदी के पानी को नियंत्रित तरीके से बाहर छोड़ा जाता है तो आर्द्रभूमि को
काफी हद तक पुनर्जीवित किया जा सकता है,कुछ उपजाऊ मिट्टी भी इकट्ठी हो सकती है। उनका कहना
है कि आचाफलाय नदी (मिसिसिपी की एक सहायक नदी) में मिसिसिपी का एक तिहाई पानी होने
पर भी उसके दोनों किनारों पर आर्द्रभूमि बहुत अच्छी स्थिति में है। इसलिए वहाँ कोई
बांध नहीं बनाया गया है। वास्तव में वह सहायक नदी इतनी चौड़ी और गहरी है कि मिसिसिपी का अधिकांश पानी इसमें छोड़ा जा सकता था। लेकिन समुद्र में
ज्वार आने के डर से केवल एक तिहाई पानी ही छोड़ा जा रहा है।
शाम को मिसिसिपी नदी के तट पर हमने घूमने
का खूब आनंद लिया। पुरानी शैली की नौका में बैठाकर नदी की तेज धारा में हमें ले जाया गया। वह क्षण भी
बेहद सुखद था! बिलकुल ठंड नहीं थी। मार्च का महीना था,मगर इस दक्षिण प्रदेश में गर्मी पड़ना शुरू हो जाती है।शाम की हवा अच्छी लग
रही थी। फिर लौटकर नदी-तट के बेंचों पर बैठकर कुछ स्नैक्स
खाए। मिस लुई ड्रक हमारे दल में सबसे ज्यादा मिलनसार थी। पूरे विश्व में कार्य
करने वाली संस्था संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी पुनर्वास संगठन (यूएनएचसीआर) की वह एक वरिष्ठ अधिकारी थी।
बचपन में भूगोल की पुस्तक हमने पढ़ा था कि मिसौरी-मिसिसिपी दुनिया की सबसे
दीर्घ नदियों में से एक है। इसका संक्षिप्त नाम मिसिसिपी है। यह अमेरिका की सबसे
प्रसिद्ध और सबसे लंबी नदी है, जो ऐतिहासिक और संस्कृति-सम्पन्न है। नदी-तट पर चाय-नाश्ता करते समय मुझे
मार्क ट्वेन की पुस्तक ''लाइफ ऑन द मिसिसिपी (मिसिसिपी पर जीवन)' याद आ गई। मुझे नदी पर काम करते हुए उन मजदूरों की कई तस्वीरें याद आने लगी, जिनका चित्रांकन अमेरिकी कलाकार बिंगहैम ने तैयार किया था। मार्क ट्वेन उन्नीसवीं सदी के थे और
चित्रकार बिंगहैम बीसवीं शताब्दी के। मार्क ट्वेन के शाब्दिक वर्णन की तुलना मुझे बिंगहैम
के चित्र अधिक सुंदर और प्रभावशाली लगे।
न्यू ऑरलियन्स में कई प्रसिद्ध संग्रहालय हैं। उनमें प्राचीन संस्कृति, विरासत में मिले जाज-संगीत, फ्रांसीसी-साहित्य, दैनिक जीवन-चर्या, पाक-कला आदि के बारे
में पढ़ने के लिए कई किताबें और पत्रिकाएं हैं। महानगर प्राधिकरण ने हमें
इतनी पढ़ने की सामग्री दी थी कि उन पर
सिवाय सरसरी निगाहें दौड़ाने के अलावा कुछ भी संभव नहीं था। बिंगहैम के तस्वीरों का छोटा सा एलबम हमें बहुत खुशी
दे रहा था।
मार्क ट्वेन की किताब 'लाइफ ऑन द मिसिसिपी' में उन्नीसवीं
शताब्दी के इस नदी का इतिहास और तत्कालीन बड़े-बड़े स्टीमबोट्स अमेरिकी उपन्यास जगत
में बहुत लोकप्रिय थे।मिसिसिपी नदी में ऋतुओं के अनुसार अपने आकार बदलने, नाविकों की जीवन-शैली और तटवर्ती शहरों के स्केच अत्यंत ही सुंदर ढंग से
उपन्यासों में उकेरे गए हैं। जब मैंने अपने कॉलेज के दिनों में यह उपन्यास पढ़ा था तो मेरे मन में
इस विशाल नदी को देखने के लिए इच्छा पैदा हुई थी। सहपाठियों के साथ संध्या-भ्रमण
के समय यह प्रशस्त नदी और उसमें चलते छोटे-बड़े जहाज मुझे मार्क ट्वेन के उपन्यास
की फिर से याद दिला रहे थे।
'मिसिसिपी पर जीवन' 1883 में
प्रकाशित हुई थी। उसके अगले वर्ष मार्क ट्वेन का क्लासिक उपन्यास 'एडवेंचर्स ऑफ हकलबेरी
फिन' प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास की कथावस्तु आजादी की तलाश करते एक
गुलाम की एक युवक के साथ मिसिसिपी नदी की
यात्रा है। मिसिसिपी-यात्रा में हक और जीन के विभिन्न अनुभव, खतरों से उनके जूझने का रोमांचक वर्णन इस
उपन्यास का प्रमुख आकर्षण है। मार्क ट्वेन की शैली कभी पाठकों को रुलाती है तो कभी
हँसाती है। अमेरिका के गृहयुद्ध पूर्व की दास-प्रथा और गुलामों के जीवन और मुक्ति
लिए उनकी छह टपटाहट का इस उपन्यास में सुंदर वर्णन किया गया है।
न्यू ऑरलियन्स में हमारे तीन दिवसीय प्रवास के दौरान बोरबॉन स्ट्रीट में
घूमना और मिसिसिपी नदी के किनारे बैठना मेरे लिए सुखद उपलब्धि थी। मिसिसिपी अमेरिका के इतिहास और संस्कृति का
प्रतीक है।जितनी गंगा नदी हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है, उतनी ही मिसीसिपी अमेरिकी लोगों के लिए। न्यू ऑरलियन्स का जनजीवन मिसिसिपी
के इतिहास की जटिलता से जुड़ा हुआ है। अमेरिकी शहरों में न्यू ऑरलियन्स की अपनी
खास विशेषता है। यह एक बहुत बड़ा शहर है,मगर दूसरों से अलग है। इसकी विशिष्ट जीवन-शैली, भोजन, जाज- संगीत और प्राचीन परंपराओं में आत्मीयता निहित है।
जब मैं यह लिख रहा था, तभी न्यू ऑरलियन्स में भयानक दुर्घटना घटित हुई थी। यह एक चौंकाने वाली
त्रासदी थी। हेरीकेन कैटरीना मेक्सिको-खाड़ी के तीन राज्यों में भयानक क्षति का
कारण बना। न्यू ऑरलियन्स शहर लगभग पूरी तरह से तबाह हो गया। बोर्नबॉन स्ट्रीट में
हम जिन रेस्तरां में खाना खाते थे , जहां घूमते थे, वह जगह करीब दस-बारह फीट जल-मग्न हो गई। न्यू ऑरलियन्स के लगभग सभी क्षेत्र
समुद्र-तल से नीचे हैं। एक तरफ मिसिसिपी नदी तो दूसरी तरफ पोंटचार्टन झील। शहर में
पहुँचते समय हरिकेन की गति 250 किलोमीटर प्रति घंटे थी। शहर को सुरक्षा देने वाले बांध का बड़ा हिस्सा
नष्ट हो गया था। पूरे शहर में बाढ़ आ गई थी। भयानक बारिश, 250 किमी प्रति घंटे की हवा की रफ्तार और बाढ़
के पानी ने 28 तारीख, ‘काले सोमवार’ को न्यू ऑरलियन्स शहर को पूरी तरह से तबाह कर दिया। यह सच है .. कैटरीना
आने की खबर शहर के ज्यादातर लोगों को मिल चुकी थी। हजारों लोगों ने अपनी-अपनी
कारें लेकर शहर छोड़ दिया था। मगर बहुत सारे लोग
या तो जिनके पास गाडियाँ नहीं थीं या जो यह सोच रहे थे कि कुछ भी गंभीर घटित नहीं होगा,वे लोग वहीं रह गए। दुर्भाग्य से उनमें से
ज्यादातर अमेरिका के काले लोग थे।
राष्ट्रीय तूफान केंद्र द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार कैटरीना चौथे केटेगरी का तूफान था। पंद्रह फुट ऊंची सागर की लहरें शहर में
घुस आई।
समाचार-पत्रों की खबरें पढ़ने पर मुझे लगा कि स्थानीय लोगों और
अधिकारियों की भविष्यवाणियां अक्षरश: सत्य
साबित हुई। मैंने मानस-चक्षु से अपने आप को बोरबॉन स्ट्रीट से बाढ़ में मिसिसिपी तट या
पैन्टेचर्टन झील की ओर बहता जा रहा हूँ। अगर हमारे समय न्यू ऑरलियन्स में ऐसा
तूफान आया होता तो अमेरिका के
सभी समाचार पत्रों में छह पा होता कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पच्चीस सीनियर फ़ेलो की भयानक
हरीकेन में जल-समाधि । शायद हमारी दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए ‘चर्च-सर्विस’ आयोजित की जाती, और हार्वर्ड विश्वविद्यालय हमारे
परिवारों को शोक-संदेश भेजता।
शहर के लैटिन क्वार्टर और बोरबॉन स्ट्रीट बाहरी पर्यटकों
के लिए सबसे आकर्षक जगह हैं। लैटिन क्वार्टर की सबसे अच्छी होटल में रहते हुए खूबसूरत
बोरबॉन स्ट्रीट, मुख्य रास्ता और अन्य स्थानों के आस-पास हम घूमते थे। लेकिन अब सभी समाचार-पत्रों और टेलीविजन चैनलों
में एक ही खबर छाई हुई है कि न्यू ऑरलियन्स पूरी तरह से तबाह हो गया हैं। शहर के
महापौर के अनुसार हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। तूफान गुजरने के एक
हफ्ते बाद पानी पर तैर रहे शवों और गायब
लोगों की संख्या की गणना करना संभव नहीं है। अमेरिका की संघीय सरकार, जो उसे करना था, कर नहीं पाई। इस विषय पर हर जगह आलोचना हो
रही थी और अमेरिका के राष्ट्रपति ने न्यू ऑरलियन्स की यात्रा के बाद अपनी विफलता
को स्वीकार कर लिया। अमेरिकन कांग्रेस ने 10 अरब डॉलर की प्राथमिक सहायता की घोषणा
की, जिसे बाद में बढ़ाकर 50 अरब डॉलर कर दिया गया। शहर में ‘सुपर डोम’ नौ हजार लोगों को आश्रय प्रदान करने के लिए
बनाया गया, मगर पन्द्रह हज़ार लोग ठूंस-ठूंसकर उसमें भर गए थे। लोगों को भोजन-पानी में
अकथनीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके नित्य-कर्म की सुविधाएं भी वहां नहीं
थीं। लोग बहुत असंतुष्ट थे। इसके अलावा, कुछ विरोधी-सामाजिक तत्वों ने इस स्थिति का फायदा
उठाते निर्दोष लोगों को लूटना शुरू किया।
अंधेरे में, रास्तों पर और यहां तक कि सुपर डोम के अंदर भी लड़कियों और महिलायों के
साथ बलात्कार किया। यह सर्व विदित था कि सरकार अपने बचाव कार्य में विफल रही।
प्राकृतिक आपदा से नागरिकों की रक्षा करने में नाकाम रहने के कारण शहरी लोगों ने संघीय
सरकार की कटु आलोचना की।
हजारों लोग मर गए। शहर विध्वस्त हो गया। लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए थे। कुछ लोग लूटपाट कर रहे थे। मिसिसिपी-तट
पर भयानक विस्फोट हो रहे थे। इस तरह एक सुंदर और आकर्षक शहर मलबे के बड़े ढेर और
अनदेखे अद्भूत नर्क में बदल गया। बोरबॉन
स्ट्रीट पर विभिन्न प्रकार के स्नैक्स खाने का आनंद लेते समय कभी कल्पना नहीं की
थी कि ऐसी दुर्घटना भी घट सकती है। सन 1853 में इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज में लिखा
हुआ था, "न्यू ऑरलियन्स का निर्माण ऐसी जगह पर किया गया है, जिसे केवल वाणिज्यिक
वासना के पागलपन ने लोगों को कब्जा करने के लिए उकसाया होगा।"
न्यूयार्क, सैन फ्रांसिस्को और लॉस एंजिल्स जैसे विश्व-प्रसिद्ध शहर के बाहरी पर्यटकों
के लिए आकर्षण-केंद्र है, उनका भविष्य क्या हैं? आज यह प्रश्नवाचक बनकर खड़ा हुआ है। स्थिति इतनी
बुरी हो गई थी कि जेलों में लूटपाट करने वालों और बलात्कारियों को डालने के लिए
पर्याप्त स्थान भी नहीं था। इसका कारण यह था कि लगभग सभी जेलें टूट गई थीं। इसी
तरह ज्यादातर
अस्पताल नष्ट हो गए थे । रोगियों के उपचार के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी।
कहीं पीने के पानी और दवाओं की कमी के कारण महामारी फैल न जाए, सरकार ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए। अन्य देशों से दवाइयाँ, उपकरण और चिकित्सक आने
लगे थे। अमेरिका की थल-सेना, नौ-सेना और वायु-सेना ने ज़ोर-शोर से बचाव-कार्य शुरू किया। यह सच था कि
सरकारी मशीनरी प्रारंभिक चरण में विफल रही। लेकिन बाद में धीरे-धीरे स्थिति नियंत्रण
में आने लगी। अमेरिका दुनिया का सबसे अमीर
देश है और जो हमेशा तीसरी दुनिया के गरीब देशों की मदद करता आया था, आज प्राकृतिक आपदाओं की वजह से स्थिति उलटी
है। भारत सहित कई देशों ने अपने वायुसेना के विमानों से दवाइयाँ और खाद्य-पदार्थ
भेजे।
मनुष्य के लालच और आसुरिकता जैसी प्रवृति सब जगह समान हैं। यहां तक कि
अमेरिका जैसे एक अमीर देश में भी दुष्ट लोग
स्थिति का फायदा उठाते हुए इतना नीचे गिर जाते हैं कि सरकार सेना को उन्हें देखते
ही गोली मारने का आदेश देती है। जिससे कुछ हद तक
लूटपाट और बलात्कार की घटनाओं में कमी आई।
सबसे बड़ी समस्या गिरफ्तार किए गए बदमाश लोगों के लिए जेलों की कमी थी। हेलिकॉप्टर द्वारा जनता को जिन
सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा था, और जिन जगहों पर खाद्य-सामग्री और दवाइयाँ बांटी जा रही थी, उस समय उन जगहों पर काम-चलाऊ
जेलें बनाई गईं।
यह थी खूबसूरत न्यू ऑरलियन्स शहर की
वर्तमान दुर्दशा! तूफान के कारण शहर के कई
हिस्सें खत्म हो चुके थे। कई पर्यावरणविदों के मतानुसार इस शहर को पूरी तरह से नई जगह पर स्थापित किया जाना
चाहिए,क्योंकि शहर के अधिकांश क्षेत्र समुद्र-तल से नीचे हैं इसलिए भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं नहीं होगी, इसकी क्या गारंटी है? संक्षेप में, यह कहा जा सकता है कि इतिहास प्रसिद्ध न्यू ऑरलियन्स अब न्यू ऑरलियन्स के
रूप में मौजूद नहीं हैं। शायद भविष्य में नहीं रहेगा। मैंने लगभग अमेरिका के बड़े सभी
शहरों को देखा है और मेरी राय में न्यू ऑरलियन्स एक जीवंत शहर था, जो दूसरों से अलग था। मैंने पहले ही कहा है कि न्यू ऑरलियन्स जाज और 'ब्लू' का जन्म स्थान है। न्यू ऑरलियन्स का यह लोकप्रिय संगीत अमेरिका के साथ-साथ
दुनिया के लिए एक बड़ा उपहार है। तत्कालीन अखबार के पहले पृष्ठ पर शीर्षक था 'सभी जाज अलविदा’ । खबर की एक तस्वीर में दिखाया गया था, एक आदमी टुबा-कू (एक बड़ा बिगुल, जो जाज संगीत में काम आता है) के साथ घुटने तक गहरे पानी में सड़क पार करते
हुए। न्यू ऑरलियन्स विश्वविद्यालय के जाज विभाग के प्रमुख प्रोफेसर शेल्टनबर्ग, ने कहा, "न्यू ऑरलियन्स ने सबसे पहले महान अनूठी कला के रूप में जाज का निर्माण किया।
अमेरिकी अस्तित्व के अनूठे हिस्से को पोंछने वाली वह एक त्रासदी है"
जब मैंने यह समाचार पढ़ा तो मेरे मानस पटल पर विख्यात बोरबॉन स्ट्रीट और उसके
आस-पास की गलियों-नुक्कड़ों पर रात 9 बजे से 11 बजे तक जाज-संगीत पर नृत्य करते युवकों
के दृश्य उभर आए। न्यू ऑरलियन् में जाज की लोकप्रियता का आप बिना देखे कल्पना नहीं
कर सकते हैं। आधी रात तक जाज-संगीत
प्रस्तुत करते छोटे-छोटे दल न्यू ऑरलियन्स की सड़कों पर जब गुजरते थे तो स्थानीय
लोग ताली बजाकर उन्हें प्रोत्साहित करते थे।
जैसा कि मैंने पहले कहा है, अमेरिका के सभी शहरों की तुलना में न्यू ऑरलियन्स में विभिन्न प्रकार की मछलियां, केकडें और तरह-तरह के समुद्री खाद्य बेहद लोकप्रिय था। जिस प्रकार पेरिस की
सड़कों के किनारे कुर्सी लगे रेस्तरां में लोग खाना खाते हैं, ठीक न्यू ऑरलियन्स में वैसा ही था। पाक-शैली पूरी तरह से अलग थी। इसे ‘काजुन शैली’ कहते थे। शायद बाहरी पर्यटकों को यह भोजन बहुत आकर्षित करता था। निजी तौर
पर मुझे मछह ली खाना अच्छा लगता है, न्यू ऑरलियन्स में प्रवास के दौरान मेरे
दोस्तों के साथ मैंने अक्सर रेस्तरां समुद्री खाने का ऑर्डर किया था।एक बहुत बड़ी
प्लेट में भांति-भांति की मछह लियां, केकडें, ओएस्टर अच्छी तरह से
सजा कर रखे जाते थे। मुझे शामूका और घोंघे
के अलावा सब-कुछ खाने में बहुत आनंद आता था। न्यू ऑरलियन्स के
दुर्भाग्य की खबर पढ़कर मुझे वह सब याद आने लगा। न्यू ऑरलियन्स के लोग पेरिस की
तरह रेस्तरां के बाहर सड़कों के किनारे बैठकर खाने का आनंद लेते थे। न्यू ऑरलियन्स
शहर की स्थापना सन 1718 में हुई थी। पेरिस के दक्षिण-पश्चिम में दौ सौ किलोमीटर
दूर स्थित शहर का नाम 'ऑरलियन्स' है। सन 1781 में ऑरलियन्स के ड्यूक फिलिप
द्वितीय फ्रांस के सम्राट थे। अमेरिका का लुसियाना प्रदेश उस समय फ्रांस के अधीन था। ड्यूक ऑफ़ ओरलियंस के सम्मानार्थ
लुसियाना के इस शहर का नाम न्यू ऑरलियन्स रखा गया था। केवल खान-पान में ही नहीं, वरन न्यू ऑरलियन्स की संस्कृति के अनेक
पहलुओं पर फ्रेंच-संस्कृति का काफी प्रभाव था। हार्वर्ड में एक साल के प्रवास और अमेरिका के कई शहरों के
भ्रमण के दौरान हुए दो अनुभव मेरे लिए अविस्मरणीय हैं, दोनों न्यू ऑरलियन्स के हैं। पहला अनुभव है
संध्या के समय मिसिसिपी के किनारे बैठकर नदी के वक्ष पर जहाजों-स्टीमरों को गुजरते
हुए देखना, वहां पर बज रहे संगीत का आनंद लेना और इच्छानुसार ठोंगे में तले आलू चिप्स और तली हुई मछह ली
लेकर सीमेंट बेंच पर बैठकर खाना । दूसरा अनुभव है, बोरबॉन स्ट्रीट के परिदृश्य। जाज-संगीत पर ताली बजाकर लोगों को प्रोत्साहित
करना, विभिन्न प्रकार के भोजन-पेय का आनंद उठाते
सड़क पर घूमते लोग, सड़क के दोनों किनारों पर बने रेस्तरां से
बाहर आती भोजन की खुशबू, घरों के बालकानियों पर लोहे की सुंदर रेलिंग- इन सबसे ऊपर स्थानीय लोगों
का उत्साह, जीवंत व्यवहार, उनकी सादगी और अतिथि-वत्सलता।
विध्वस्त न्यू ऑरलियन्स की खबर पढ़कर मुझे डॉ॰ सिद्धार्थ भंसाली के कथन याद आने लगे। न्यू ऑरलियन्स में वह एक
प्रभावशाली भारतीय हृदय विशेषज्ञ थे। भारत के बाहर कहीं भी जैन धर्म की अधिक
कलाकृतियां अगर संग्रहीत था तो वह डॉ॰ भंसाली का निजी संग्रहालय था। इस संग्रहालय
में एक सौ से अधिक दुर्लभ कांस्य प्रतिमाएं थीं, अन्य वस्तुएं दसवीं सदी से लेकर वर्तमान समय तक की थी। सन 2008 में मैंने
समाचार पत्रों में पढ़ा है कि न्यू ऑरलियन्स कला संग्रहालय में डॉ॰ भंसाली के निजी
संग्रहालय की वस्तुओं की प्रदर्शनी का
आयोजन हुआ था। जब मैं हार्वर्ड विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट डिपार्टमेंट में था, तो मैंने भंसाली के
बारे में सुना था। यहां तक कि जिस घर में डॉ॰ भंसाली रहते थे, वह घर भी अत्यंत विशाल और वास्तुकला
के लिए प्रसिद्ध था। एक कला विशेषज्ञ ने 'न्यू ऑरलियन्स हाउस-ए हाउस-वॉचर गाइड' नामक पुस्तक लिखी है। उसमें 'भारतीय बंगला' शीर्षक से डॉ॰ भंसाली के घर को जगह मिली है।
भंसाली के संग्रहालय में कैथोलिक और अन्य भारतीय समुदायों की कई कला-वस्तुएं भी
हैं। अखबारों में पढ़ा कि ये सभी मूल्यवान और विरल कला-वस्तुएं पूरी तरह से सुरक्षित
हैं।
न्यू ऑरलियन्स शहर के अनेक नाम रखे गए
हैं। इनमें से तीन वर्णनात्मक
नामों का सामान्यतः प्रयोग होता है। पहला नाम, क्रेसेंट सिटी मतलब मिसिसिपी का गतिपथ
इस शहर के पास अर्ध चंद्राकार है। इसलिए शहर भी अर्ध
चंद्राकार है। लोगों के जीवन के प्रति सामान्य दृष्टिकोण को देखते हुए शहर का एक
और दूसरा नाम दिया गया है। नाम है 'बिग इज़ी' शहर। जिसका अर्थ है कि शहर के लोग तनाव-मुक्त,आसान और सरल जीवन जीते हैं।यहाँ जीवन
भाराक्रांत नहीं है, प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीना मानो इस शहर का संकल्प
है। कुछ लोग
मानते हैं कि यह एक ऐसा शहर है, जहां किसी भी चीज की कोई चिंता नहीं है। ये तीनों नाम न्यू ऑरलियन्स के लिए
उपयुक्त हैं। इसका कारण यह है कि शहर हमेशा उत्सवों से भरा होता है, लोगों को खाने में अच्छा मज़ा आता है, जाज-संगीत में खुद को भूल जाना- यह ही जन-जीवन का आभिमुख्य है। यह सुंदर, सरल और स्वच्छंद दक्षिण शहर निश्चित रूप से अमेरिका के बड़े शहरों में एक
विशिष्ट स्थान रखता है।
हमारी प्रवास अवधि समाप्त हो गई। यहाँ से हमने मिसिसिपी के
जैक्सन प्रदेश की ओर प्रस्थान किया।
मिसिसिपी राज्य का जैक्सन शहर : क्रीतदास नीलामी
न्यू ऑरलियन्स के बाद हमारे यात्रा का अगला पड़ाव था मिसिसिपी राज्य की
राजधानी जैक्सन सिटी। एमट्रैक ट्रेन से हम 8 बजे जैक्सन पहुंचे। रेलवे स्टेशन और
रेलवे स्टेशन से रैडिसन होटल,जहां हमारे ठहरने की व्यवस्था की गई थी, की सड़क पर स्थानीय काले लोगों का जुलूस निकल रहा था, अच्छे कपड़े पहने हुए थे वे लोग। शुरु में
हमने सोचा कि शायद वे किसी बैठक में भाग लेने जा रहे हैं या फिर वे कोई त्योहार
मना रहे है। मगर पूछताछ करने पर पता चला कि डॉ॰मार्टिन लूथर किंग के सम्मानार्थ उस
दिन घोषित छुट्टी थी। यह वही व्यक्ति है, जो महात्मा गांधी का सम्मान करते थे और अहिंसा के बल पर सामाजिक परिवर्तन लाया था। मुझे उनके ओजस्वी भाषणों
की एक पंक्ति याद आई: "मेरे पास एक सपना है ...."
कई युवकों के दल सड़कों पर गीत गाते हुए चले जा रहे थे। मार्टिन लूथर किंग
को मालूम था कि मिसिसिपी राज्य दास-प्रथा का प्रबल समर्थक है। प्रचुर तंबाकू और कपास की
खेती के लिए दासों की इस राज्य में आवश्यकता थी। 'अंकल टॉम का केबिन' के प्रकाश में आने के बाद अमेरिका में नस्ल-भेद
के खिलाफ जागरूकता आने से नीग्रो लोगों की आजादी के लिए गृह-युद्ध शुरू हुआ। उसके
पीछे जैक्सन शहर और मार्टिन लूथर किंग दोनों ने विपक्ष का साथ दिया। जैक्सन शहर
में मार्टिन लूथर किंग के सामाजिक दर्शन अहिंसा की वास्तविक शक्ति की परीक्षा हुई।
उनके शब्दों में, "अहिंसा केवल एक शक्तिशाली हथियार है।यह इतिहास में अद्वितीय है। यह ऐसे
व्यक्ति को नामांकित करता है, जो उसका इस्तेमाल करता है।"
यह ध्यान देने योग्य बात है कि मार्टिन लूथर किंग की भाषा गांधीजी के सत्य-
अहिंसा के दर्शन के सदृश है। गांधीजी ने कहा था कि उनका धर्म सत्य और अहिंसा पर
आधारित है। सत्य उनके लिए ईश्वर है और अहिंसा ही परमेश्वर तक पहुंचने का मुख्य
मार्ग है।
रैडिसन होटल में अपना सामान रखकर हम खाना खाने की चिंता करने लगे। जैक्सन सिटी
के तीन स्थानीय अधिकारी हमारी देखभाल के लिए नियुक्त किए गए थे। वे हमें हवाई
अड्डे से होटल ले आए। हम रैडिसन होटल में खाना नहीं चाहते थे। हमारी इच्छा थी कि हम
कुछ स्थानीय भोजन खाएं। तीन स्थानीय अधिकारियों में एक भद्र-महिला थी। वह हमें 'कॉक ऑफ़ द वॉक' नामक रेस्तरां में ले गई। रेस्तरां केवल लकड़ी का बना था। दीवारें लकड़ी की, टेबल-कुर्सियां लकड़ी
की और यहां तक कि फर्श भी लकड़ी का था। किसी ने हंसी-मज़ाक में कहा, " कहीं खाना परोसने वाले
तो लकड़ी के नहीं हैं!" लकड़ी की दीवारों पर टंगे हुए थे काले, पीले और नारंगी रंग के
मक्के के पौधे, सूखे तंबाकू के पत्ते, विभिन्न प्रकार के मछह ली पकड़ने के जाल और पिछह ले साठ वर्षों में होटल में
खाने वाले कई लोगों के परिचय-पत्र। उसके बाद हमने हमारे तीन स्थानीय अधिकारियों के
साथ बातचीत कर कैटफ़िश,बड़े-बड़े तले हुए गोटा आलू, तीन प्रकार के सलाद और छह ल्ले की तरह तले हुए प्याज के टुकड़े आदि लाने का
ऑर्डर दिया। भूनी हुई मछह ली स्वादिष्ट थी। इससे भी ज्यादा अच्छे थे केकडे। उबले
हुए केकड़ों की खोल से पहले मांस निकालकर विभिन्न मसालों के साथ उन्हें पकाया गया
था। उस स्वादिष्ट मांस को परोसने के लिए केकड़ों के खोलों का प्लेटों के रूप में
इस्तेमाल करने का दृश्य हमारे लिए नया था। एल्यूमीनियम के विशाल मग में पानी और
बियर दिया गया। स्पष्ट था कि वह रेस्तरां काफी प्राचीन था। मिसिसिपी राज्य कैटफ़िश, मक्का और तंबाकू के लिए
जाना जाता था। जैक्सन शहर इसकी राजधानी और केंद्र-स्थली थी। यह रेस्तरां बहुत
लोकप्रिय था। उस दिन रेस्तरां में लगभग 200 लोग खा रहे थे। गाइड ने हमें बताया कि
इस प्रसिद्ध रेस्तरां में खाने के लिए बाहर से कई जाने-माने लोग आते हैं।होटल
से रेस्तरां जाते समय पूरे इलाके में गहरी
धुंध छाई हुई थी। रेस्तरां से साढ़े ग्यारह
बजे लौटते समय कोहरे लगभग छंट गया था। हम थक गए थे और भरपेट स्वादिष्ट भोजन
खाने से बिस्तर पर गिरते ही नींद आ गई।
जैक्सन शहर के ‘सिटी हॉल’ का निर्माण 1846-47 में हुआ था। ईंटों को बनाकर उन्हें धूप में सूखाकर अपनी मेहनत से क्रीतदासों ने इस हॉल का निर्माण किया
था। उस समय केवल 7000 डॉलर खर्च हुए थे। यह शहर का एक ‘लैंडमार्क’ है, देखने में बेहद खूबसूरत। स्थानीय अधिकारी हमें इसे दिखाने के लिए अंदर ले
गए। इसकी वास्तुकला ग्रीक है। यह शहर का दर्शनीय स्थान है,मगर इसकी लागत बहुत कम थी। इसमें घूमते समय
हमें याद आने लगा, अमेरिका में दास-प्रथा का दीर्घ इतिहास, शोषण-कषण का असमानांतर अमानवीय व्यवहार।
जब हम जैक्सन शहर के अभिलेखागार में गए तो हमें इस तरह की अमानवीयता के
ज्वलंत उदाहरण देखने को मिले। मिसिसिपी राज्य के प्राचीन इतिहास,विशेषकर क्रीतदास -प्रथा, दासों की नीलामी का इतिहास, क्रीतदास कैसे बर्तनों में खाना खाते थे, पशुओं की तरह कैसे वे
चेनों से बंधे रहते थे- ये सभी अभिलेखागार में प्रदर्शित किया गया है।अधिकांश
क्रीतदास मिसिसिपी राज्य के ‘नट्टेज़’ नामक विशाल गांव में रहते थे क्योंकि कपास और तम्बाकू की अधिकतम खेती वहाँ
होती थी। अधिकांश जमींदार भी वहां रहते थे। क्रीतदास अफ्रीका से कौड़ियों के मोल में खरीदे जाते थे
और बहुत अमानवीय परिस्थिति में समुद्र रास्ते से दक्षिण अमेरिका में पहुंचाए जाते
थे। कई पाठक अफ्रीका में उस स्थान के बारे में जानते होंगे, जहां क्रीतदास इकट्ठे रखे जाते थे। क्योंकि उस अट्टालिका को डेढ़ साल पहले एक ऐतिहासिक
स्मारक के रूप में लोकार्पण हुआ है।उस जगह को जेल भी कह सकते है।अमेरिका-यात्रा से
पूर्व उन्हें गाय-बैल की तरह जहाजों में भर दिया जाता था। अभिलेखागार में दिनांक 1
फरवरी, 1820 का नोटिस प्रदर्शित किया गया था, जिसमें लिखा हुआ था कि नीग्रो क्रीतदास की नीलामी 10 फरवरी को होगी। इस
नीलामी का विशद इतिहास पढ़कर मैं चकित और दुखी था। नैट्ज़ेज के व्यवसायी मैसर्स एच॰
पोस्टलेहैत एंड कंपनी उस दिन नीलामी
के प्रभारी थे। उस नीलामी में उन्नतीस गुलाम नीलाम हुए थे, वे स्वर्गीय जॉन स्टील की संपत्ति थीं। छह पुरुष, सात महिलाएं, आठ से चौदह साल की उम्र
के चार लड़कें, दस-बारह साल की दो लड़कियां और दस वर्ष से कम उम्र के दस बच्चे थे। इन छह ह
पुरुषों में से तीन के परिवार के लोगों को शामिल किया गया था। नीलामी की शर्तें इस
प्रकार थी:_
1. नीलामी की राशि का आधा हिस्सा
तुरंत दिया जाएगा और शेष राशि बारह महीने के अंतर्गत देय थी।
2. खरीददार को इस समझौते पर सिक्यूरिटी हस्ताक्षर करने और बैंक में देय राशि
जमा करनी थी।
3॰ उन खरीददारों के लिए छूट दी गई थी, जो एक से अधिक परिवारों को खरीदेगा।
4॰ नीलामी में भाग लेने के इच्छुक व्यक्ति नीलामी से पहले किसी दिन जॉन
स्टील के घर के सामने बंधे गुलामों को देखकर अपना निर्णय ले सकता है।
5॰ नीलामी प्रक्रिया का पर्यवेक्षण रॉबर्ट अलेक्जेंडर और एडवर्ड टर्नर
करेंगे।
पाठकों को कुछ और बताने की कोई जरूरत नहीं है। दूर अफ्रीका से
लाए गए लोगों को खरीदकर पशुओं की तरह नीलामी में बेचा जाता था। उससे अधिक हृदय
विदारक घटना और क्या हो सकती है? अभिलेखागार
देखने के बाद ‘नट्टेज़ गाँव की यात्रा करने की मेरी प्रबल इच्छा थी। स्थानीय अधिकारियों ने
दो कारणों का हवाला देते हुए मुझे वहाँ जाने से रोक दिया। सबसे पहला, सन 1820 वाले नट्टेज़
गांव का कोई नामोनिशान नहीं था। दूसरा, यह स्थान वहाँ से कुछ दूर था। निस्संदेह वह मिसिसिपी राज्य में
क्रीतदास-इतिहास के कारण सबसे ज्यादा असभ्य क्षेत्र था।मार्टिन लूथर किंग ने इस
जगह को रंगभेद के खिलाफ अपने आंदोलन हेतु चुना था,अब मुझे इसका कारण स्पष्ट हो गया था।
हमारे लिए ‘स्मिथ रॉबर्टसन संग्रहालय’ के परिदर्शन की व्यवस्था की गई थी, जहां निग्रो लोगों की विरासत के कई पहलुओं का प्रदर्शन किया गया था।
संग्रहालय में शुरू से आज तक, अफ्रीका से निग्रो को क्रीतदास के रूप में
लाने से लेकर कृषिकार्य का नानाविध इतिहास, निग्रो समाज के
रीति-रिवाज, वाद्य यंत्र, खेती में उनके द्वारा प्रयोग में लाए जाने
वाले विभिन्न उपकरण – ये सभी आर्टिफ़ेक्ट्स रखे हुए थे। मिसिसिपी में काले लोगों की
विरासत का सबसे बड़ा संग्रहालय है।संग्रहालय की स्थापना सन 1894 में हुई थी। इसके
बाद हम जैक्सन की कैपिटल देखने गए थे। सन
1840 में पुराने कैपिटल का निर्माण-कार्य शुरू हुआ था। लेकिन विविध कारणों और कई
जगहों पर अट्टालिका के क्षतिग्रस्त होने
के कारण सन 1903 में एक नए कैपिटल का उद्घाटन हुआ। मिसिसिपी का प्रशासन इस अट्टालिका
से 3 जून, 1903 से शुरू हुआ। यह जन्मदिन था अमेरिकी राष्ट्रपति जेफरसन डेविस का। नई अट्टालिका उन्हें समर्पित कर
दी गई थी। अट्टालिका के गुंबद पर अमेरिका के राष्ट्र-चिह्न ‘फ्लाइंग ईगल की मूर्ति’ स्थापित की गई है। इसके दोनों पंखों की लंबाई 15 फीट है और उन पर 14 कैरेट
सोना चढ़ाया गया है। इसमें मिसिसिपी के विभिन्न संसाधन, उद्योग और कला-चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। आंतरिक डिजाइन में कपास प्रमुख
घटक के रूप में इस्तेमाल की गई है।
सन 1903 में कपास की खेती के लिए मिसिसिपी राज्य प्रसिद्ध था और इसे राज्य
की सबसे बड़ी संपति के रूप में जाना जाता था। कपास की वजह से मिसिसिपी अमेरिका का
सबसे अमीर राज्य बना। इसलिए कपास जैसे कृषि उत्पाद को कैपिटल की आंतरिक डिजाइनिंग
में प्रमुखता दी गई।
जैक्सन में प्रवास के दौरान हमें दो
अन्य चीजों को देखने का अवसर मिला। पहली चीज, कोलंबस के आने से पहले अमेरिका की प्राचीन इंडियन सभ्यता के अस्तित्व के
बारे में उत्खनन में पर्याप्त सबूत मिले। समग्र अमेरिका के प्राक कोलंबस इतिहास ने
इन खुदाइयों की वजह से नया आकार ले लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि हरनडो डी
सोटो ने सबसे पहले मिसिसिपी नदी देखी थी। दूसरा, ‘ग्रीनवुड कॉटन लैंडिस म्यूजियम’ जिसमें नदियों से कपास की खेती और संश्लिष्ट नदी पथ पर होने वाले व्यापार
की विशिष्ट जानकारी दी गई है। मिसिसिपी डेल्टा और वहाँ के लोगों की जीवन-शैली और
संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को यहां प्रदर्शित किया गया है। खेतों में दासों
द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरण भी यहां प्रदर्शित किए गए हैं। मिसिसिपी
में उगाई गई कपास फ्रांस को निर्यात की जाती थी, वहाँ उस कपास से सुंदर कपड़े निर्मित किए जाते थे। वे कपड़े वहां प्रदर्शित
किए गए हैं। स्थानीय लकड़ी के फर्नीचर भी प्रदर्शित किए गए हैं। कपास के गोदामों
की तस्वीरें, कपास का निर्यात, लंगर लगे जहाज और नदी-तट पर स्थित होटल आदि की तस्वीरें संग्रहालय में दिखाई
गई हैं।
संक्षिप्त में, जैक्सन शहर में हमारे
प्रवास के दौरान अमरीकी नीग्रो के इतिहास, मिसिसिपी अववाहिका और डेल्टा-संस्कृति के बारे
में विशेष जानकारी मिली। जैक्सन में हम दो दिन रुके। जैक्सन के मेयर और स्थानीय
सीनेटर ने हमारे लिए एक रात्रिभोज की
व्यवस्था की, जिसमें हमने शहर के इतिहास और परंपराओं के बारे में कई सवाल पूछे थे और ऐसे
बहुत सारे विषयों पर विचार-विमर्श भी हुआ।
उसके दूसरी सुबह हम विमान द्वारा कैलिफोर्निया के ऑरेंज काउंटी के लिए रवाना
हो गए।
ऑरेंज काउंटी: कैलिफोर्निया का समृद्ध क्षेत्र
ऑरेंज काउंटी की यात्रा के लिए दक्षिण के प्रसिद्ध शहर और हवाई अड्डा डलास
फोर्टवर्थ पर हमारा विमान थोड़े समय के लिए रुका था। विमान नीचे उतरने से पहले
संध्या के समय आकाश और पृथ्वी के दृश्य मेरे लिए अविस्मरणीय और अतुलनीय थे। समग्र
आकाश का पश्चिमी क्षितिज कुंकुम की तरह लाल दिखाई दे रहा था तो नीचे धरित्री धूसर
काली नजर आ रही थी। उसके कुछ समय बाद
असंख्य बत्तियाँ जगमगाने लगी। पहले से मुझे पता था कि डलास फोर्टवर्थ बहुत फैला
हुआ घनी आबादी वाला शहर है। आकाश में तीज का चाँद ऊपर उठ आया था, धीरे-धीरे सारा आकाश तारों से टिमटिमाने
लगा था। हम रात के नौ बजे लांगविच हवाई
अड्डे पर पहुंचे, यह लॉस एंजिल्स के आस-पास है। ऑरेंज काउंटी
जाने के लिए चार-पांच हवाई अड्डे उपलब्ध हैं। उनमें से तीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे
हैं, जैसे लॉस एंजिल्स, सैनडिएगो और ओंटारियो। जबकि लांगविच एयरपोर्ट घरेलू हवाई अड्डों में से एक
था।
हवाई अड्डे पर हमारे स्वागत के लिए दो अधिकारी इंतजार कर रहे थे। वे हमें
प्रशांत महासागर के तट पर स्थित वेस्टिन साउथ कोस्ट प्लाज़ा होटल में ले गए
थे। ऑरेंज काउंटी अमेरिका की विकसित और समृद्ध काउंटियों में से एक है। अमेरिका के
प्रत्येक राज्य में कुछ काउंटियां होती हैं। प्रत्येक काउंटी में अनेक छोटे
शहर बसे होते हैं। उदाहरण के तौर पर ऑरेंज काउंटी 782 वर्ग मील में फैला हुआ 25 लाख
आबादी वाला विशिष्ट क्षेत्र है। इसके अंदर 22 कस्बें हैं। इन कस्बों में कोई भी बहुत बड़ा नहीं
है, सबसे बड़े शहर एनाहाइम की आबादी लगभग दो लाख है। हम ऑरेंज काउंटी में दो दिन
रहें। इन दो दिनों में विभिन्न संस्थानों ने हमारे लिए दोपहर और रात के भोजन की
व्यवस्था की थी। काउंटी परिषद के अध्यक्ष ने एक बार रात्रिभोज दिया तो वियतनामी समुदाय ने दूसरी बार; इसी तरह, मेक्सिकन संस्थान ने एक दोपहर के भोजन की व्यवस्था की तो इरविन स्थित
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय ने दूसरी दोपहर के भोजन की। वियतनाम और मेक्सिको के अधिकांश
लोग प्रशांत महासागर के तट पर स्थित इस काउंटी में रहते है। दक्षिण की यह काउंटी
मेक्सिको से बहुत दूर नहीं है। मैक्सिको के बहुत से लोग वीजा लेकर यहां अधिक पैसे
कमाने की आशा में आए है। बहुत से लोग अवैध तरीके से भी सीमा पार कर आ जाते हैं।
वियतनाम युद्ध के दौरान बहुत से वियतनामी भी यहाँ आकर बस गए थे। मेरे मित्र नृतत्व
विशेषज्ञ जेम्स फ्रीमैन ने इस अंचल के वियतनामी समुदाय, विशेष रूप वहाँ स्थापित शिविरों में रहने वाले युवाओं और छोटे बच्चों के
बारे में एक गवेषणात्मक पुस्तक लिखी थी, जिसका शीर्षक है 'वोइसेज ऑफ द कैंप’। इस पुस्तक में उन्होंने वियतनाम के प्रवासी अनेक लोगों,विशेषकर बच्चों पर विशद चर्चा की है। अलबामा विश्वविद्यालय के वियतनामी मूल
के प्रोफेसर गुएन दिकू भी इस पुस्तक के
सह-लेखक थे। वियतनामी शरणार्थी के दूसरी पीढ़ी ने धीरे-धीरे समाज में अपना स्थान
बना लिया था। मगर अभी भी बहुत गरीब लोग उनके शिविरों में रहते हैं। काउंटी
अधिकारियों ने हमें इन दोनों समुदायों से मिलने का मौका देने के लिए ही ऐसे दोपहर और
रात के भोजन की व्यवस्था की थी। वास्तव में, हमें इन दोनों देशों के लोगों से कई मुद्दों पर बात करने का मौका मिला था।
दोनों देशों के साहित्य और संस्कृति के प्रति मेरे मन में बहुत श्रद्धा थी। बहुत
समय पहले वियतनाम की आधुनिक कविताओं का मैंने संपादन किया था। उस संकलन का नाम था 'द रॉक एंड सैंडलवुड
ट्री'। वियतनाम के मशहूर चित्रकार ट्रान्वानंकान ने उस किताब के लिए कई तस्वीरें बनाई
थीं।'
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय अमेरिका का एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय है। इरविन
उनके सात परिसरों में से एक है।उनके कुलपति द्वारा दिए गए दोपहर के भोजन के समय
हमें विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसरो और ऑरेंज काउंटी के कई लेखकों और कलाकारों से
मिलने का अवसर मिला था। ऑरेंज काउंटी से प्रस्थान करने से पूर्व वहाँ की काउंसिल
के चेयरमैन ने हमारे लिए विदाई रात्रिभोज का आयोजन किया था।
वेस्टिन होटल की चौदहवीं मंजिल में मेरा रूम नंबर 1418
था। ऑरेंज काउंटी की रोशनी क्षितिज तक फैलती है, क्योंकि यह काउंटी विशाल लॉस एंजिल्स
शहर का अंश-मात्र है। लॉस एंजिल्स और इसके उपनगरों का क्षेत्रफल लगभग 2000 वर्ग
मील (100 मील* 20 मील) है। इसलिए लॉस एंजिल्स को
'द ग्रेटेस्ट लाइट शो ऑन अर्थ' कहा
जाता है।लॉस एंजिल्स के हवाई अड्डे पर उतरते समय इस 'शो' के बारे में मेरी सामान्य धारणा बन गई थी।
ऑरेंज काउंटी की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है,केवल काउंटी का जीडीपी 50 अरब डॉलर है। यदि
यह एक स्वतंत्र देश होता तो आर्थिक
दृष्टिकोण से इसका स्थान दुनिया में चौरालीसवाँ (46) होता। यहाँ कुछ बड़ी-बड़ी
एयरोस्पेस कंपनियां हैं, कुछ कंपनियां रक्षा उपकरणों का निर्माण करती हैं तो कुछ जैव प्रौद्योगिकी की
कंपनियां हैं। काउंटी पर्यटन और उद्योग की वजह से समृद्ध है। काउंटी के समुद्री तट की
लंबाई 41 मील है, जहां पर्यटकों के आवास के लिए पांच बेलाभूमि का
निर्माण किया गया है।उनमें से हमें फ़ुलरटन और हंटिंगटन समुद्र तट पर ले जाया गया।
‘लैगून बीच’ से सटे कला-संग्रहालय का भी हमने दौरा किया
था। अमेरिका में सिम्फनी आर्केस्ट्रा, ओपेरा, बैले कंपनी और थियेटर के लिए ऑरेंज काउंटी प्रसिद्ध है। हमें पैसेफिक सिम्फनी
आर्केस्ट्रा में ले जाया गया था।मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि तीन करोड़ बीस लाख
अंतरराष्ट्रीय और अमेरिकी पर्यटक हर साल इस छोटी-सी काउंटी में आते हैं। ‘डिज्नीलैंड’ तो यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। दूसरा आकर्षण है विशाल अनाहाइम स्टेडियम, जहां कैलिफोर्निया के लोग फुटबॉल और बेसबॉल खेलों
का आनंद उठाते हैं। अनाहाइम कन्वेंशन सेंटर में सभा-समिति और सेमिनार आयोजित करने के लिए इतनी
भीड़ लगती है कि अगर कम से कम दो महीने पहले बुकिंग नहीं की जाती है तो वहाँ
रिज़र्वेशन मिलना मुश्किल है।
पहले दिन हम कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के इरविन परिसर
में प्रसिद्ध बेकमान लेजर रिसर्च इंस्टीट्यूट और क्लिनिक देखने गए। इसके निदेशक डॉ॰
माइकल बर्न्स का लेजर अनुसंधान के क्षेत्र में अमेरिका में नाम है। इंस्टीट्यूट और
क्लिनिक के चारों तरफ घूमने के बाद उन्होंने सेमिनार रूम में वहाँ
होने वाले अनुसंधानों की जानकारी दी। उन्होंने हमें पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन की मदद
से लेजर के विभिन्न उपयोगों के बारे में समझाया। उनके साथ दो घंटे कहाँ बीते, पता ही नहीं चला। यह बहुत ही सुखद अनुभव था।
विश्वविद्यालय के एक गाइड ने हमें चारों तरफ
घुमाया। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सारे सातों परिसर बहुत सुंदर हैं और बहुत
अच्छी तरह से संचालित हो रहे हैं।मैं पहले से ही बर्कले, सांता-क्रूज़ और
रिवरसाइड के परिसर देख चुका था। यह परिसर भी कोई कम सुंदर नहीं था। उसके बाद दोपहर
के भोजन के लिए हमारा गाइड हमें वियतनाम चैम्बर ऑफ कॉमर्स के कार्यकारी निदेशक के पास
ले गया, वहाँ उन्होंने 'कैलिफोर्निया में वियतनाम' विषय पर संक्षिप्त
व्याख्यान दिया। उनसे हमें पता चला कि ऑरेंज काउंटी में एक लाख से अधिक और
कैलिफोर्निया में पांच लाख से अधिक वियतनामी रह रहे थे।
प्रशांत महासागर के किनारे ऑरेंज काउंटी के कई
आकर्षक समुद्र तट हैं, जो हमेशा पर्यटकों से भरे रहते हैं। दोपहर के भोजन के बाद
हम ‘हंटिंग्टन बिच’ गए। अमेरिका के हर समुद्र तट की
तरह यह तट भी सर्दियों में पर्यटकों से भरा रहता है। वहाँ कुछ समय बिताने के बाद हम
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के फुलर्टन परिसर में गए। वहाँ कैलिफ़ोर्निया पैसेफिक रिम
की अर्थव्यवस्था पर अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख ने संक्षिप्त व्याख्यान दिया, उनके निमंत्रण पर मित्सुबिशी कंपनी
के प्रबंध निदेशक वहाँ उपस्थित थे। उन्होंने अपनी कंपनी और कारों की उपयोगिता के
बारे में कुछ जानकरी दी थी। यह परिसर फुलर्टन बिच से कुछ दूरी पर
है। वहाँ इधर-उधर घूमते-घूमते शाम होने लगी थी। हम 6 अक्टूबर को ऑरेंज काउंटी के प्रसिद्ध उद्योगपति श्री टियरेन के घर कॉकटेल डिनर
पर गए। वहाँ शादी के घर की तरह व्यवस्था की गई थी। उनका घर विशाल परिसर के भीतर
कुटीर-शैली में बनाया गया था। स्विमिंग पूल, लॉन और गार्डन सब-कुछ उसके अंदर थे। उन्होंने ऑरेंज काउंटी के प्रमुख, दो विश्वविद्यालयों के
महत्वपूर्ण प्रोफेसरों, उनके दोस्तों, अन्य उद्योगपतियों और कुछ कलाकारों को आमंत्रित किया था। श्रीमती टियरेन के
कामकाज में उसकी सहेलियाँ हाथ बटा रही थीं। ऑरेंज काउंटी के प्रमुख ने हमें हार्वर्ड और ऑरेंज काउंटी के हमारे
अनुभवों के बारे में पूछा। सोतोरो यची, श्रीमती लूईस, जेम्स स्पेन्स और मैंने अपने अनुभवों के बारे में कुछ बताया। खाना बहुत ही अच्छा था। श्री टियरेन ने हमारे लिए संक्षिप्त
स्वागत भाषण दिया और उन्होंने हार्वर्ड में आए प्रत्येक प्रतिभागी के देश के नाम पर शैंपेन
बोतल खोली। यह हमारे लिए विचित्र अनुभव था।
अगले दिन हम मैकडोनेल डगलस स्पेस स्टेशन गए। पृथ्वी से 230 मील ऊपर बनने वाले स्पेस स्टेशनों के मॉडल तथा उनसे संबंधित सभी अनुसंधान
कार्य यहां हो रहे हैं। वहां काम करने वाले वैज्ञानिकों ने हमें सब-कुछ बताया।
उन्होंने मॉडल के प्रत्येक भाग का भी वर्णन किया। हमें मॉडल के पास में खड़े करवाकर
एक तस्वीर खींची थी। जब हम हार्वर्ड लौटे
तो हम सभी को उसकी एक प्रति दी गई थी। यह जगह होटल से बहुत दूर थी। इसलिए वहाँ
पहुंचकर सब-कुछ देखते-देखते दोपहर हो गई थी। अंतरिक्ष स्टेशन के
अधिकारियों ने हमारे लिए दोपहर के भोजन के लिए व्यवस्था की थी। दोपहर के भोजन के
बाद हम ऑरेंज काउंटी के सेंट अन्ना चैंबर ऑफ कॉमर्स गए। काउंटी के सुदृढ़ अर्थ-व्यवस्था
में चैंबर ऑफ कॉमर्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। चैंबर के दो वक्ताओं ने ऑरेंज काउंटी की अर्थव्यवस्था, वैदेशिक व्यापार, औद्योगीकरण और पर्यटन के बारे में हमें अवगत कराया।
होटल लौटने के बाद हमें पैसेफिक
सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा में ले जाया गया। यह
आर्केस्ट्रा काउंटी के परफोरमिंग आर्ट सेंटर में स्थित है। इस तरह ऑरेंज
काउंटी कैलिफोर्निया का मनोरंजन केंद्र बन
गया।
दूसरे दिन सुबह नाश्ता करने के बाद हम गाइड के साथ यूनिवर्सल स्टूडियो गए।
स्टूडियो के अर्काइव में अधिकारियों ने हमें गोड्ज़िला जैसी कुछ अविस्मरणीय फिल्मों
के निर्माण कौशल से परिचय कराया। उसके बाद उन्होंने हमें ‘स्टंट शो’ और ‘एनिमल शो’ भी दिखाया। वहां दो घंटे व्यतीत करने के बाद हम डिज़नीलैंड गए। वहां मध्याह्न
भोजन समेत 5 घंटे लगे। अमेरिका का डिजनीलैंड उस समय दुनिया में सबसे बड़ा आकर्षण-केंद्र
माना जाता था। उसके बाद पहले पेरिस में और फिर हांगकांग में (2005 में) मूल मॉडल
के अनुरूप डिज़नीलैंड बनाए गए। वहाँ भूमध्य रेखा के वर्षा वन, विश्व के विभिन्न अंचलों की सभ्यताएं और नाना
प्रकार की दर्शनीय वस्तुएँ, रोलर कोस्टर, अनेक रेस्तरां आदि- सब-कुछ देखने के लिए कम से कम पूरा दिन चाहिए। सभी उम्र
के लोगों के अभिरुचियों को ध्यान में रखकर इसके अंदर कई प्रदर्शनियां लगाई गई हैं।
कई प्रदर्शनियों में कृत्रिम वातावरण पैदा किया गया है। उदाहरण के लिए, भूमध्य सागर के जंगलों से गुजरने वाली नदी जैसा वहाँ एक छोटी नाव में बैठकर
मैंने अनुभव किया था।
साढ़े पाँच बजे हम सभी होटल पहुंचे। अगले सुबह मेरे दोस्त बोस्टन लौटने वाले
थे। लेकिन मेरा कार्यक्रम दूसरा था, और व्यक्तिगत भी।पहले, गोपमामा की बेटी अंजी
और दामाद सूर्य सैनहोज से सैनडिएगो जाने के रास्ते मुझसे होटल में मिलना चाहते थे।
वे लोग छह ह बजे होटल पहुंचे। मेरे साथ चाय पीकर थोड़ी देर बातें कर वे अपनी कार
से सैन डिएगो चले गए। वे मुझे अपने साथ सैन डिएगो ले जाना चाहते थे। मगर मेरे लिए
यह संभव नहीं था। यह सच था कि मैंने तब तक सैन डिएगो नहीं देखा था। यह अमेरिका का
खूबसूरत और प्रसिद्ध शहर था। लेकिन मेरी पुरानी दोस्त श्रीमती सुसान सेमूर और उनके
पति लॉरी ग्राहम ने 8.30 बजे तक पहुंचने
वाले थे।हार्वर्ड छोड़ने से पहले दो दिन
उनके घर रहने के लिए उन्होंने मुझे आमंत्रित किया था। मुझे सुसान के बारे में यहाँ
कुछ बातें कहनी चाहिए। सुसान बहुत दिन पहले भारत में बच्चों के पालन-पोषण,उन्हें घर में दी जाने वाली प्रारंभिक शिक्षा और उस संदर्भ में माता-पिता और परिवार का योगदान आदि
विषयों पर शोध कर रही थी। उससे पहले वह पुराने भुवनेश्वर, उसके मंदिर और सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक
चेतना पर शोध कार्य कर चुकी थी। इस विषय पर उन्होंने गवेषणात्मक पुस्तक भी लिखी थी। जब उन्होंने बच्चों पर अपने
अनुसंधान कार्य शुरू किया था, उस समय मेरी बेटियों की उम्र छह ह और आठ वर्ष थी। उपली और मिताली उन दिनों
उनके शोध का विषय हुआ करती थी। इस कारण और अमेरिका की प्रसिद्ध नृतत्वविद होने के कारण सुसान मेरी
लंबे समय से परिचित थी। वह ठीक साढ़े आठ बजे मेरे होटल पहुंच गई। लॉस एंजिल्स से दस
किलोमीटर दूर क्लेरमोंट में उनकी गाड़ी में उनके घर गया। लॉरी ग्राहम सुसान के
दूसरे पति थे। इस वजह से उन्हें सुसान सेमूर ग्राहम के रूप में जाना जाता था।
ऑरेंज काउंटी छोड़ने से पूर्व लॉरी के बताए मैक्सिकन रेस्तरां में मैंने एंचलाडा
चिकन समेत डिनर किया था। क्लेरमोंट पहुँचकर सुसान ने मुझे दो दिनों के कार्यक्रम
की जानकारी दी। उनका बेटा शांत लड़का था। उसकी स्कूल पूरी हो गई थी। हमारे साथ कुछ समय
बातचीत कर ‘शुभरात्रि’ कहकर वह चला गया। फाइजर कॉलेज अमेरिका का पुराना कॉलेज है। जिसके नृतत्व विज्ञान, समाजशास्त्र और
अंग्रेजी विभागों की बहुत प्रतिष्ठा है। वास्तव में यह कॉलेजों का एक समूह है ।
इस कॉलेज के प्रोफेसरों ने दुनिया के विभिन्न देशों में नृतत्व विज्ञान और
समाजशास्त्र के क्षेत्र में अनेक शोध पुस्तकें लिखी है। सुसान खुद एक उदाहरण है। वह
नृतत्व विज्ञान की प्रोफेसर और प्रमुख थी। पंद्रह वर्ष तक विभागीय प्रमुख के रूप
में सेवा देने के बाद वह सामाज-विज्ञान की डीन बनी। उनकी संस्था ने नेपाल सरकार से
मिलकर काठमांडू में एक कॉलेज खोली है। उस कॉलेज का प्रबंधन सुसान के हाथों में है।
एक स्थानीय स्कूल में गणित पढ़ाती है।
दूसरे दिन कैलीफोर्निया के रेगिस्तान में कुछ समय
बिताने के लिए हम 6.15 बजे हम घर से बाहर निकले। रास्ते में खाना खाने के लिए हमने
केवल नाश्ता किया था। सुसान और लॉरी की अध्यापिका सहेली पेनी भी हमारे साथ थी। कैलिफ़ोर्निया की
पर्वत श्रृंखला क्लेरमोंट से ज्यादा दूर नहीं है। लॉरी ने विगत शाम को बताया था, सूर्योदय के ठीक बाद में उपत्यका की दूर पहाड़ियों को देखने में उसे मजा आता
है। इसका कारण यह था कि उसे पहाड़ी इलाकों में छाया-प्रकाश देखना बहुत सुंदर लगता
है। इस वजह से हम सुबह-सुबह जल्दी घर से बाहर निकले। दृश्य वास्तव में आनंददायक थे।
पहाड़ियों के शीर्ष पर कुछ जगह हिमपात भी हो रहा था। उन्हें देखकर मुझे सिक्किम
की राजधानी गंगटोक और कंचनजंगा पर्वत श्रृंखला याद आने लगी।हमारी यात्रा के प्रथम
पड़ाव में आए पाम स्प्रिंग पहाड़ियों की तलहटी में पंक्तिबद्ध खजूर के पेड़, जिसके
पास में था विस्तीर्ण हरे मैदान में बहता झरना। लॉरी ने हमें बताया कि यह झरना कभी
नहीं सूखता है। हमने पाम स्प्रिंग से मोरंगों घाटी और फिर योक्का घाटी पार करते
हुए जोशुआ पेड़ों से भरे भरा विशाल अंचल
में पहुंचे। जोशुआ कांटों वाला पेड़ है, मगर नागफनी से अलग और बहुत सुंदर है। एक छोटी सी छोटी और यहोशू के पेड़ों
के बीच एक सड़क रखी गई थी। तीन-चार फीट से बीस-पच्चीस फुट ऊंचे जोशुआ पेड़ों के
भीतर से सड़क गई है। अनेक पेड़ों,खासकर छोटे पेड़ों पर शाखा-प्रशाखाएं भी हैं।
प्रत्येक पेड़ एक सुंदर ज्यामितीय आकृति की तरह दिखाई देता था। ऐसा लग रहा
था कि किसी वास्तुकार ने जोशुआ पेड़ों की छह वियों का निर्माण कर उस विशाल उजाड़
क्षेत्र में उन्हें स्थापित कर दिया हो।हम कुछ पेड़ों
को देखने तथा उनके फोटो लेने के लिए गाड़ी से नीचे उतरे। हमने कई पेड़ों के पास
खड़े होकर अपनी फोटो खींची। जोशुआ के पेड़ों पर कोई पत्ते या डालियाँ नहीं थीं।
इसकी शाखाएं पारंपरिक पेड़ों की शाखाओं की तरह नहीं होती हैं। उनका गठन नागफनी की
तरह नहीं होता है। पत्ते आयताकार और कांटे बहुत कम। इसे पार करते हुए हम जोशुआ देश
के राष्ट्रीय स्मारक पर पहुंचे। दो सौ साल पुराना बड़े तने वाला जोशुआ पेड़ वहाँ का
राष्ट्रीय स्मारक है। यह पेड़ सभी को प्रिय लगता है। यह पारंपरिक वृक्ष-पूजा का एक
बेजोड़ उदाहरण है। उस पेड़ के चारों तरफ दर्शकों के लिए लकड़ी के बेंच और कुर्सियां रखी
हुई हैं। हम भी वहाँ बैठे और प्राचीन- सुंदर पेड़ के दृश्य का आनंद उठाने लगे।
स्मारक द्वारा संचालित एक छोटा-सा सभागार और स्मृति चिन्ह बेचने वाली एक दुकान पास
में थी। हमने वहाँ जोशुआ देश और जोशुआ पेड़ों पर बनी 20 मिनट की डाक्यूमेंटरी देखी।
दुकानों में जोशुआ पेड़ों की तस्वीरों के साथ कपड़े, चीनी मिट्टी के बरतन, जोशुआ पेड़ों के इतिहास
पर लिखी किताबें, जोशुआ पेड़ों की फ्रेम बनी तस्वीरें
बेची जा रही थीं। मैंने अपने सीमित संसाधनों से कुछ चीजें खरीदीं। लॉरी और सुसान ने मुझे कुछ चीजें
उपहार दीं। मोन्युमेंट द्वारा संचालित वहाँ के रेस्तरां में हमने दोपहर का भोजन
किया।कुछ जगह पर निजी रेस्तरां भी थे। उस दिन ज्यादा
पर्यटक नहीं थे।इसलिए हम अपनी यात्रा
का आनंद लेते हुए और आगे बढ़े। पहले आया पच्चीस ताल पेड़ों के भीतर एक विशाल ओएसिस
और विस्तृत जनशून्य मोहावे। कैलिफोर्निया के मोहावे रेगिस्तान का परिचय है-छोटी
कांटेदार झाड़ियां और थोड़ी-बहुत बालू। ओएसिस में मिट्टी के नीचे से फूट रही पानी
की धारा बहुत सुंदर लग रही थी, वहाँ कुछ फूल
पौधे भी लगाए गए थे।
हम वहां से कई अन्य जगहों पर गए। पहले हम जंबो रॉक नामक एक विशाल चट्टान के
पास गए। उसके बाद दो घाटियां ‘हिडन वैली’ तथा ‘लॉस्ट हॉर्स वैली’ आई। ये दोनों पहाड़ियों की तलहटी में थीं। कुछ जगहों
पर पानी जमा हुआ था, जिसके किनारे उगे जंगली पेड़ों को देखकर हमें
मज़ा आया। इन्हें पार करते हुए हम ‘शीप पास’ से होते हुए उस अंचल के सबसे ऊंचे
स्थान ‘की व्यू’ पर पहुंचे। यह स्थान पांच हजार चार सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
वहाँ से आते समय रास्ते में पड़ने वाली सारी घाटियां, जोशुआ पेड़ों के विस्तृत मैदान, घाटी के दोनों ओर की पहाड़ियाँ बहुत सुंदर
दिखाई दे रही थी। दो तरफ पहाड़ियों की ऊंचाई लगभग बराबर थी, लगभग ग्यारह हजार फीट हिमाच्छादित पहाड़ियाँ। वहाँ से क्लेरमोंट बहुत दूर
धुंधला दिखाई दे रहा था। वहाँ जैसी हवा मैंने बहुत कम देखी, आँधी-त्तूफान की तरह तेज हवाएँ चल रही थीं।
वह हमें इतना पीछे तेजी से धकेल
रही थी मानो कहीं हमें पहाड़ियों की तलहटी
में न गिरा दें। ठंड भी बहुत लग रही थी। क्लेरमोंट में ज्यादा ठंड नहीं थी, फिर भी बुद्धिमान लॉरी ने मुझे गर्म कपड़े
लेने की चेतावनी दी थी, इस वजह से मुझे किसी भी
समस्या का सामना नहीं करना पड़ा था। ‘की व्यू’ से नीचे उतरकर हम ‘कॉटनवुड सेंटर’ नामक जगह पर गए। यह दूसरा रास्ता था। हम वहां से इंडिओ रेगिस्तानी अंचल में
गए, फिर एक बस्ती में। उसके बाद हमने वहां से लॉस एंजिल्स का रास्ता पकड़ा। घर
पहुंचते-पहुँचते पांच बज गए थे।चाय-नाश्ता करके इधर-उधर घूमने के बाद हम पेनी के
घर डिनर के लिए गए।
अगले दिन फाइजर कॉलेज के विभिन्न अनुष्ठानों को मैंने सुसान के साथ देखा।
यहाँ मैंने पहले भी दौरा किया था। अक्टूबर में सैनहोज विश्वविद्यालय में व्याख्यान देने के बाद मैं इस कॉलेज के
अंग्रेजी विभाग में कविता पाठ के लिए आया था। इसके बाद हम लॉस एंजिल्स के बेवर्ली
क्षेत्र में घूमने चले गए।वहां दोपहर का भोजन कर हम चार बजे घर लौटे। लॉरी और
सुसान मुझे एयरपोर्ट ले गए। हाइवे पर ट्रेफिक जाम था। विमान निर्धारित समय पर उड़ा।
डलास से होते हुए बोस्टन आया। बोस्टन पहुंचते समय आसमान बादलों से घिरा हुआ था।
हवाई जहाज से भयंकर काले बादल दिखाई दे रहे थे। मुझे याद हो आया डलास में बीती कल की शाम अद्भूत
सुंदर दिखाई दे रही थी,मगर आज दिन का तेज उजाला भी निष्प्राण और
निर्जीव लग रहा था। बोस्टन में भारी बारिश हो रही थी, हिमपात भी होने लगा था। किराए की टैक्सी पकड़कर मैं जल्दी से अपने
अपार्टमेंट में वापस आ गया। एक महिला टैक्सी चला रही थी। वह बोस्टन में लंबे समय से रह रही थी, उससे शहर के बारे में बहुत सारी बातें की। अपार्टमेंट
पहुंचकर मैंने विजय मिश्रा के घर फोन किया तो पता चला कि वह न्यू ऑरलियन्स गए हुए
हैं, अगले दिन वापस आएंगे।सुवर्णा (श्रीमती मिश्रा)
ने मुझे अपने घर खाना खाने के लिए बाध्य किया।खाना खाकर जल्दी से अपार्टमेंट लौटकर फोन पर भुवनेश्वर में अपने
बच्चों से बातचीत की। बहुत जल्दी से नींद आ गई।
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