9. कार्लो फुएंटेस – अजन्मा क्रिस्टोफर


9.  कार्लो फुएंटेस – अजन्मा क्रिस्टोफर

मैक्सिको के प्रसिद्ध उपन्यासकार, लेखक, आलोचक और राजदूत कार्लो फुएंटेस  सेंटर फॉर इन्टरनेशनल एफेयर (सीएफआईए) के कूलिज हॉल की छह ठवीं मंजिल पर मेरे पड़ोसी थे। हम प्रायः कैंटीन में चाय या लंच के  समय साहित्य पर चर्चा करते  थे। वह भी एक वर्ष के लिए सीफा में लैटिन अमेरिकन स्टडीज के प्रोफेसर रॉबर्ट एफ कैनेडी के पास आए थे। उनका साल पूरा होने जा रहा था। उन्होंने एक साल पहले  कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में साइमन बॉलीवर प्रोफेसर के रूप में काम किया था। हार्वर्ड  वाले कैंब्रिज विश्वविद्यालय को कैंब्रिज कहते है,क्योंकि हार्वर्ड  में स्थित छोटे शहर कैंब्रिज और हार्वर्ड  की स्थापना इंग्लैंड के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शिक्षित लोगों ने की थी।
हम अक्सर उनके कमरे में या मेरे कमरे में एक-दूसरे से बातें करते थे। हमारी बातों के भीतर ओक्टेविओ पाज़ आ जाते थे। मैक्सिको के विश्व प्रसिद्ध कवि और हम दोनों के दोस्त थे। अक्सर हम विभिन्न विषयों पर जैसे तीसरी दुनिया के आर्थिक विकास के साथ जुड़ी समस्याएं, पश्चिमी देशों की उदासीनता, भारत और मेक्सिको जैसे देशों की प्राचीन संस्कृति और आधुनिक समय में होने वाले परिवर्तनों के साथ परंपरा के समायोजन से संबंधित समस्याएं, इतिहास और उपन्यासों के बीच घनिष्ठ संबंध, अंग्रेजी अनुवाद में उनके द्वारा पढ़ी हुई मेरी कविताएं, ओड़िशा के आदिवासी लोगों की मौखिक कविताओं पर मेरा अनुवाद,  अभी-अभी पूरे हुए उनके उपन्यास 'क्रिस्टोफर अनबॉर्न' और उनके निबंध संग्रह 'माईसेल्फ विद अदरर्स'  (जिन्हें वह पूरा करने जा रहे थे) चर्चा करते थे।
       कार्लो को पढ़ाई से प्यार था। मुझे भी ऐसा ही महसूस हुआ। वे रचनात्मक लेखन और अध्यापन की निम्न शब्दों में तुलना करते है: "लेखन अत्यंत अकेला व्यवसाय है; आप अपने आपमें बहुत ज्यादा हैं। यह हवा में होने जैसा है।  अध्यापन युवा लोगों के संपर्क में रहने का एक अच्छा तरीका है, उनके विचारों से अपने रसों को फिर से प्रवाहित करने के लिए।"
       कार्लो कहते हैं कि स्पैनिश साहित्य पर सर्वेंट्स का काफी प्रभाव है। उन्होंने कहा कि 'क्रिस्टोफर अनबॉर्न' ' में डॉन कुइज़ोटेस की 'ला मांचा' परंपरा का पालन करने की भरपूर कोशिश की है, जो स्टीम, दिइडो आदि की रचनाओं में परिलक्षित होती है। इसके अतिरिक्त, स्टेंडहॉल, बाल्ज़ैक और दोस्तयोवेस्की की रचनाओं में व्याप्त वाटरलू परंपरा को आत्मसात करने का भी प्रयास किया था। मैंने  गौर किया है कि जितना मैं  दोस्तयोवेस्की के उपन्यासों का सम्मान करता हूँ, उतना वे भी। उन्होंने आधुनिक उपन्यासों के अवक्षय के बारे में अपनी राय दी। उनके अनुसार इसके तीन कारण हैं: कथावस्तु का क्षयमान संकुचन, शैली में सांद्रता का अभाव और महाकाव्यों में दृष्टिकोण की कमी। शायद ये तीनों कारण  एक दूसरे से जटिलता से जुड़े हुए हैं। इस संबंध में उनके कई अनुत्तरित सवाल हैं।
 "वर्तमान साहित्य क्षणिक चीजों के साथ ही क्यों जुड़ा रहेगा ? भविष्य के सपने ,विगत युग के घाव और उत्साह के पीछे क्यों नहीं देखेगा? हम अपने समय के  प्रतीक क्यों नहीं खोजेंगे ? क्या उसके लिए उचित कथा-वस्तु और भाषा-शैली की खोज नहीं करेंगे ? हम इतने कम में क्यों संतुष्ट हैं? हमारे सामने बड़ा कैनवास, पृष्ठभूमि कहां है? “
       मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूं। लेकिन मुझे आश्चर्य है कि अनंत काल हमेशा हमारे पहुंच से परे है। क्या काम्यू का महामारी या हेमिंग्वे का 'द ओल्ड मैन एंड द सी हृदयस्पर्शी उपन्यास नहीं है ? क्या कोएडीसी ने 'डिसग्री' जैसे उपन्यास नहीं लिखे हैं? यह सच है कि होमर से कज़ानजाकिस, टॉल्स्टॉय से गार्सिया मार्केज़ ( द हंड्रेड इयर्स ऑफ सोलीट्यूड ) और मारिया वर्गास (द फिस्ट ऑफ द गोट) के उपन्यासों में महाकाव्य की परंपरा मिलती है। वह भी मेरे विचारों से पूरी तरह सहमत हुए। मगर क्षणिक अनन्त के आह्वान के लिए  दक्षता की आवश्यकता है। इसके लिए बहुत से लोगों ने पहले कोशिश की थी, मगर विफल रहे। कार्लो स्पेनिश उपन्यास के क्षेत्र में प्रसिद्ध कारवेंटस पुरस्कार से पुरस्कृत थे, अपने समग्र उपन्यास और अन्य रचनाओं के लिए। मैंने उनके  नवीनतम उपन्यास के अंतिम मसौदे को पढ़ा था। हमने उस पर भी कुछ   चर्चा की थी।
       वह मेरी राय से सहमत थे कि उनका उपन्यास महत्वाकांक्षा पर आधारित एवं  सामान्य स्पेनिश उपन्यासों के प्रवाह का व्यतिक्रम था। उपन्यास का नायक अजन्मा शिशु है। उपन्यास में नौ अध्याय हैं। बच्चे के गर्भ के नौ महीनों के लिए एक-एक अध्याय समर्पित है। "यह एक अलग दृष्टिकोण से  मैंने कथावस्तु के प्रवाह में मैक्सिको के विगत  पांच सौ वर्षों के इतिहास को बहुत ही सूक्ष्म तरीके से प्रयोग में लाया है।"  एक हल्के स्वर में षड्यंत्रकारी की तरह वे कहने लगे, "क्या हम सभी क्रिस्टोफर नहीं हैं? क्योंकि हमने अभी तक कोई जन्म नहीं लिया है। अभी तक हम इतिहास के अंधेरे से, माँ के गर्भ से पृथ्वी के विशाल आंगन पर नहीं आए हैं। उपन्यास में  मैं कुछ कहना चाहता हूँ, मानो सपने में, हमारे इतिहास के साथ, हमारे पूर्वजों के साथ, हमारे माता-पिता के साथ और हमारे जीन्स के साथ है।"

उन्होंने आगे कहा कि इस पुस्तक का औपचारिक विमोचन अमेरिका में कोलंबस के आगमन के पांच सौ वर्ष के अवसर पर किया जाएगा। मैंने उनसे पूछा, “ क्या आपने क्रिस्टोफर कोलंबस के नाम पर उपन्यास के नायक का नाम तो नहीं रखा है?” मुस्कराते हुए उन्होंने मना किया और कहा कि यह केवल संयोगवश है।  
मैंने उन्हें अंग्रेजी में अनूदित मेरा एक कविता-संग्रह और भारतीय आदिवासियों की मौखिक कविताएं  भेंट किया था। बाद वाला संकलन मेरे द्वारा अनूदित एवं  संपादित था, जिसका शीर्षक 'द अवेकन्ड विंड' था। जिसमें आदिवासी जीवन का सार्वभौमिक दृष्टिकोण, व्यक्ति, समूह, पूर्वज, प्रकृति, देवता सभी को याद करते हुए एज़्टेक, इंका और पूर्व संस्कृतियों की इतिवृत दर्शाया गया  था।उनकी जीवन-शैली में निर्बाध शांति की तलाश के महत्व, परिवार और गांव की बड़ी सत्ता जो सीमित व्यक्तिगत सत्ता को मजबूत बनाती है, मौत के प्रति स्वाभाविक दृष्टिकोण सभी उनके आराध्य आदर्श थे। उनका मानना ​​था कि आधुनिक समाज को  इनका पालन करना चाहिए। ये सब मेक्सिको की सांस्कृतिक परंपरा में भी ध्यान देने योग्य हैं। राजनीतिक-आर्थिक परिवर्तन की वजह से यह  परंपरा निश्चित रूप से आहत हुई है। लेकिन यह अभी भी जीवित है और इसे जीवित रखना चाहिए। सन 1591 में हर्नैंड कॉर्टिज के आगमन और मेक्सिको के स्पेनिश साम्राज्य का हिस्सा बनने से पहले मेक्सिको उस उच्च सांस्कृतिक समुदाय का एक हिस्सा था, जिसमें चीन, जापान, भारत, इक्वाडोर, पेरू, पोलिनेशिया आदि शामिल थे। उस समय मेक्सिको का टियोतिहुआकन दुनिया का सबसे बड़ा शहर था और सबसे विकसित संस्कृति का प्रतीक भी। शहर में दो लाख लोगों की आबादी थी। जब मैंने उनसे मेरे टियोतिहुआकन जाने के बारे में बताया तो उन्होंने मेरे साथ इस बारे में व्यापक चर्चा की। सूर्य पिरामिड, चंद्र पिरामिड और दोनों के संयोग से अल्प-दैर्ध्य मृत्यु के रास्ते की बात, उत्खनन के बाद प्राचीन सभ्यता चर्चा के विषय बने। सूर्य-आराधना के लिए एक जवान आदमी की  बलि देकर उसका खून छाया और उजाला देखकर सूर्य भगवान को अर्पित किया जाता था। पृष्ठभूमि इस प्रकार थी: एज़्टेक के सामूहिक विचार थे कि सूर्य हमें  रोज किरणें देते हैं। वह सभी अनाजों (विशेष रूप से मक्का, जो वहाँ पैदा होता था) के जनक हैं। वह हर सुबह उगते हैं और हर शाम को अस्त हो जाते हैं। लेकिन किरण बांटते-बांटते किसी दिन सूर्य किसी दिन बहुत कमजोर हो गया और कभी पूर्व में नहीं उगा तो हर जगह अंधेरा छा जाएगा और पृथ्वी पर जीवन असंभव हो जाएगा। कहीं ऐसी घटना नहीं घट जाए इसलिए, समुदाय के सबसे सबल युवक के खून से उन्हें तर्पण देना उचित है। सभी सूर्य पिरामिड के नीचे एकत्र होते हैं। पुजारी युवक के साथ शीर्ष पर इंतजार करता है। उगते हुए  सूर्य को नरबलि देकर अपने कर्तव्य का पालन कर हर्षोल्लास के साथ वे लोग घर लौटते हैं।
उन्होंने मारिया स्तोत्र और आदिवासी लोगों की नर-बलि प्रथा के बारे में पढ़ा था।उन्होंने कहा, "वे लोग सूर्य को नरबलि देते थे और आपके कंध धरती को, बस फर्क इतना ही है।" जहां आज मैक्सिको है, वहाँ कभी टेनोचिट्लान शहर  झील के बीचोबीच हुआ करता था। वहां सड़कें थीं। अच्छी संचार सुविधा थी। वे  मानते थे कि उनका शहर पृथ्वी के केंद्र में स्थित है। उनका यह भी विश्वास था कि स्पेन के कार्टेज की साजिश से वह सभ्यता नष्ट हो गई थी। स्पेनिश सभ्यता, एज़्टेक सभ्यता और आदिम आदिवासी प्राचीन सभ्यताओं के खंडहरों पर स्थापना की गई थी उस शहर की,  दुनिया का सबसे बडे शहर पुराने मैक्सिको सिटी की तरह, वह आज उस झील में दफन है। शहर पहाड़ियों से घिरा हुआ था। इसलिए  शहर के धुआं-धूल निष्कासित नहीं हो पाते थे,लोगों की आँखें जलती थीं, रोग फैल रहे थे। कार्लो ने मज़ाक में कहा, "मैंने इस शहर का नाम मेक-सिक-ओ-सिटी रखा है। अर्थात्  यह सिटी बीमार करती है। जब मैं शहर से दूर रहता हूं, तो मुझे घर की याद आने लगती है,मगर लोगों की अपसंस्कृति और व्यवसायी मनोभाव मुझे दुखी करते हैं।"
हमारी प्राचीन परंपरा अब नई जिंदगी की तलाश कर रही है। अग्निस्नाऔर  जल-स्नान द्वारा धूल-धूसरित स्थिति उबरकर प्राणदायी संस्कृति में बदल जाएगी। कार्लो की याद आने से उनके लिए लिखी गई हमारे प्रसिद्ध कवि-मित्र ओक्टेवियो पाज़ की कविता 'कॉनकॉर्ड'  याद आ जाती है:-
पानी के ऊपर
तालपेड़ों के नीचे
सड़कों पर पवन ,
प्रशांत  बाल्टी से
झरने का काला पानी
नीचे गिरता हुआ
पेड़ों तक और
होठों तक उठता आकाश।

वे इससे सहमत हैं कि नई सभ्यता निश्चित रूप से किसी दिन आएगी, पुरानी जमीन के आकाश ऊपर उठकर होंठों तक पहुँच जाएगा।



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